Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : झारखंड का गुमला जिला खनिज संपदाओं से भरा पड़ा है. चारों ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ है. घने जंगल है, जहां बेशकीमती पेड़ है. बॉक्साइट भरा पड़ा है. इसके बाद भी गुमला जिला गरीबी व पिछड़ेपन से जूझ रहा है. गुमला की तकदीर व तस्वीर कब बदलेगी. इसका इंतजार आज भी लोग कर रहे हैं.
गुमला जिला कई विरासतों को संजोये हुए है. यहां ऐतिहासिक भूमि है, लेकिन जिस तेजी से गुमला का विकास होना चाहिए. वह पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. आज से 5 साल पहले नक्सलवाद को विकास का रोड़ा माना जाता था. लेकिन, धीरे-धीरे नक्सलवाद खत्म हो रहा है, तो भ्रष्टाचार जिले के विकास में बाधक बनी हुई है. गुमला के विकास के लिए सरकार करोड़ों रुपये दे रही है. लेकिन, एक टेबल से दूसरे टेबल होते हुए पब्लिक तक विकास का पैसा पहुंचने में देरी हो रही है. टेबल दर टेबल बढ़ने में विकास का आधा पैसा खत्म हो जा रहा है. यही वजह है. जिस उम्मीद के साथ गुमला जिले की स्थापना हुई. उसकी पूर्ति होते नजर नहीं आ रही है.
18 मई, 1983 ईस्वी को गुमला को जिला का दर्जा प्राप्त हुआ था. इसके बाद कई चुनौतियों का सामना करते हुए आज गुमला 38 साल का हो गया. झारखंड राज्य के अंतिम छोर में बसे गुमला जिले का इतिहास गौरवपूर्ण है. यह आदिवासी बहुल जिला है. इसाईयों की संख्या भी अधिक है. यह श्रीराम भक्त हनुमान की जन्मस्थली है. पग-पग पर धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल है. दक्षिणी कोयल व शंख नदी गुमला से होकर बहती है. धार्मिक आस्था के केंद्र टांगीनाथ धाम, देवाकीधाम, महामाया मंदिर, वासुदेव कोना मंदिर है. रमणीय पंपापुर, नागफेनी, बाघमुंडा, हीरादह गुमला जिले की पहचान है. ऐतिहासिक धरोहर डोइसागढ़ है.
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गुमला धर्मप्रांत में 38 चर्च है. कई चर्च पुराने हैं. जो अपने अंदर प्राचीन इतिहास समेटे हुए है. अंग्रेजों को धूल चटाने वाले बख्तर साय, मुंडल सिंह, तेलंगा खड़िया व जतरा टाना भगत जैसे वीर सैनानियों की जन्म भूमि है. परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का जैसे वीर सपूत इसी गुमला के जारी प्रखंड की धरती पर जन्म लिये. शहीद नायमन कुजूर का गांव उरू चैनपुर प्रखंड में है.
खनिज संपदाओं से परिपूर्ण गुमला 18 मई, 1983 को रांची से अलग होकर जिला बना. गुमला जिला 5327 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है. कुल जनसंख्या 12,46,249 है. जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 6,25,292 और महिला जनसंख्या 6,20,957 है. लिंगानुपात 993 प्रति हजार पुरुष है. गुमला जिले में 12 प्रखंड और 3 अनुमंडल गुमला, चैनपुर व बसिया है. पंचायतों की संख्या 159 है. राजस्व गांव 952 है. दो राजस्व गांव बेचिरागी है. गुमला शहरी क्षेत्र में एक नगर परिषद है. जिसकी आबादी 51307 है. जिले में कृषि योग्य भूमि 3.296 लाख व वन क्षेत्र 1.356 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है.
खनिज के रूप में बॉक्साइट है. लेकिन, कारखाना नहीं है. गुमला गांवों में बसा है. यहां के लोग जीविका के लिए खेती-बारी, घेरलू उद्योग धंधे व मजदूरी करते हैं. गुमला के बगल में लोहरदगा, सिमडेगा, रांची व लातेहार जिला का बॉर्डर सटता है. यह छत्तीसगढ़ व ओड़िशा राज्य का प्रवेश द्वार है. उग्रवाद, पलायन, गरीबी, अशिक्षा, सिंचाई, बेरोजगारी जैसी कई चुनौतियों का सामना गुमला कर रहा है. लेकिन, गुमला के कुछ हालात ऐसे हैं. जिसे बदलना है.
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गुमला को जिला बने 38 वर्ष हो गये, लेकिन अबतक गुमला को रेलवे लाइन से नहीं जोड़ा गया है. रेल लाइन का सपना कब पूरा होगा? यह सवाल गुमला के लोग अक्सर करते हैं. अभी भी रेल लाइन बिछाने के सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है. हालांकि, झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्य की दूरियों को कम करने व रेल सुविधा को लेकर सर्वप्रथम 1975 में कोरबा से रांची जिला तक रेल लाइन बिछाने की मांग उठी थी. लेकिन, रांची से कोरबा की दूरी को देखते हुए अंत में कोरबा से लोहरदगा तक रेल लाइन बिछाने की मांग उठने लगी. यह मांग अभी भी अनवरत जारी है. दोनों राज्य के सांसद व विधायक कई बार रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे कराये. लेकिन, सर्वे तक ही रेल लाइन सिमट कर रह गया है. कोरबा भाया जशपुर, गुमला से लोहरदगा तक रेल लाइन बिछ जाता है, तो 250 किमी की दूरी तय करनी होगी. साथ ही गरीब लोगों को सुगम यात्र मिलेगा. कोरबा व लोहरदगा जिला में उद्योग स्थापित है. यहां से कच्चे माल का आयात निर्यात आसानी से होगा. साथ ही यहां के बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे. सबसे बड़ा फायदा गुमला से होगा, जो कृषि के क्षेत्र में नित्य आगे बढ़ रहा है. किसानों द्वारा उपजाये गये सब्जी छत्तीसगढ़ राज्य भी आसानी से भेजे जा सकते हैं.
गुमला जिला गांवों में बसा है. शहर से तीन किमी दूर निकलने के बाद गांव शुरू हो जाती है. कुछ गांव सटे हुए हैं. परंतु कई ऐसे गांव है, जो प्रखंड मुख्यालय से 40 से 50 किमी की दूरी पर है. सैंकड़ों गांव जंगल व पहाड़ों के बीच है. जंगल व पहाड़ों में बसे गांवों के विकास पर अबतक किसी का ध्यान नहीं गया है. यही वजह है. आज भी गुमला जिले के 952 में से करीब पांच सौ गांवों को समुचित विकास नहीं हो सका है. कई ऐसे गांव है. जहां पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. पगडंडी व जंगली रास्ता से होकर लोग सफर करते हैं. वहीं बरसात में करीब 300 गांव टापू में बस जाता है. दर्जनों गांवों में बिजली नहीं है. पोल व तार है. परंतु बिजली आपूर्ति नहीं हो रही है.
गुमला चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष हिमांशु आनंद केशरी ने कहा कि गुमला जिला का विकास तभी संभव है. जब सरकार की योजनाओं को ईमानदारी पूर्वक धरातल में उतारा जाये. साथ ही गुमला के विकास के लिए प्लानिंग से काम करना जरूरी है. अगर गुमला शहर की ही बात करें तो यहां बिना प्लानिंग के काम हो रहा है. यही वजह है. अगर कहीं नाली नहीं है तो कहीं सड़क व पानी की समस्या अभी भी शहर में बरकरार है. श्री केशरी ने गुमला के समुचित विकास के लिए गुमला को रेल लाइन से जोड़ने व गुमला के पर्यटक स्थलों के विकास करने की मांग सरकार से की है. अध्यक्ष का कहना है कि दूसरे राज्य व जिला के लोग आयेंगे तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. व्यवसाय भी बढ़ेगा.
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1 : गुमला को रेल लाइन से जोड़ दिया जाये तो किसान अपने उत्पादित सामान दूसरे जिला व राज्य में ले जाकर बेच सकते हैं. आवागमन की सुविधा होगी तो दूसरे राज्य के लोग भी गुमला आ सकते हैं. पर्यटक को भी बढ़ावा मिलेगा.
2 : गुमला जिले में बॉक्साइट भरा पड़ा है. परंतु इसका लाभ गुमला जिले को नहीं मिल रहा है. बॉक्साइट तोड़कर दूसरे राज्य भेजा जा रहा है. अगर गुमला में अल्युमिनियम कारखाना होता तो यहां के लोगों को रोजगार मिलता.
3 : गुमला जिले के पर्यटक स्थलों का विकास हो और वहां पर्यटकों के लिए सुविधा व सुरक्षा मिले तो दूसरे राज्य के पर्यटक गुमला पहुंचेंगे. इससे गुमला में रोजगार का अवसर बढ़ेगा. पर्यटक के क्षेत्र में गुमला को एक पहचान भी मिलेगी.
Posted By : Samir Ranjan.