आज है माँ भारती की स्वतंत्रता का त्योहार,
संपूर्ण देश मना रहा है पचहत्तरवीं बार.
बज रही है शहनाई हो रही है फूलों की बौछार,
खुश है पूरा देश,हर व्यक्ति, हर परिवार.
भारी कीमत चुकाकर पाई आज़ादी को रखना है बरक़रार,
दुश्मनों की काली करतूतों को करना है तार-तार.
आँख उठाकर भी देखा तो दुश्मनों को रोना पड़ेगा ज़ार-ज़ार,
क्योंकि जल-थल-नभ में भारतीय सेना है पूरी तरह तैयार.
हम किसी देश से पिछड़े हुए नहीं हैं स्वीकारता है यह पूरा संसार,
हर भारतीय के हौसले हैं बुलंद चाहे वह बूढ़ा हो या बीमार.
एक-एक कदम बढ़ा हमने पाई है मंज़िल बार-बार,
वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष तक जाने के लिए नभ को किया है पार.
महिला पायलट भी हमारे देश में विमान उड़ाती है हर चुनौती को कर स्वीकार,
नदियों का सीना चीर हमने मेट्रो-रेल को दौड़ाया है इस पार से उस पार.
चिकित्सा के क्षेत्र में चिकित्सकों ने अपना हुनर दिखाया है हर बार,
भारतीय युवक-युवतियों ने पूरे विश्व को खेलों में भी झुकाया है अपने समक्ष हर प्रकार.
विकास सुरक्षित व हितकारी हो यही होगा हमारा प्रयास,
‘सर्वजन सुखाय सर्वजन हिताय’ को ज़हन में रखें सर्व प्रकार.
सर्वे भवन्तु सुखिनः बने हमारा पवित्र मंत्रोच्चार,
फूँकें हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के मंत्र में फिर जान एक बार
सीमा बेरी