ats police raid in jharkhand रांची : राज्य में अब संगठित गिरोह से जुड़े अपराधियों की खैर नहीं. ऐसे गिरोह से जुड़े अपराधियों के खिलाफ पूरे राज्य के किसी भी थाना क्षेत्र में अब एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉयड (एटीएस) छापेमारी कर सकेगी. इसके साथ ही अपराधियों के खिलाफ एटीएस के थाना में प्राथमिकी दर्ज की जायेगी और इसकी जांच भी एटीएस ही करेगी. डीजीपी नीरज सिन्हा के सुझाव पर इससे संबंधित प्रस्ताव एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर और आइजी अभियान एवी होमकर ने तैयार किया है. प्रस्ताव पर अनुमति मिलने के बाद एटीएस पूरे राज्य में संगठित गिरोह से जुड़े अपराधियों के खिलाफ जानकारी एकत्र कर कार्रवाई करेगी.
इसके अलावा एटीएस में संसाधन और मैन पावर भी बढ़ाये जा सकते हैं. जानकारी के अनुसार डीजीपी का मानना है संगठित गिरोह से जुड़े अपराधी राज्य में लेवी वसूलने के लिए घटनाओं को अंजाम देते हैं. संगठित गिरोह से जुड़े अपराधियों का मकसद भी आतंक फैलाना ही है. इसलिए एटीएस का प्रयोग संगठित गिरोह से जुड़े अपराधियों पर नकेल कसने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि एटीएस का गठन वर्ष 2015 में मंत्रिमंडल से स्वीकृति मिलने के बाद किया गया था, जिसके बाद से एटीएस में एक एसपी के अधीन काम हो रहा है. एटीएस का गठन झारखंड में स्लीपर सेल से जुड़े आतंकियों के खिलाफ सूचना एकत्र करने और उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए किया गया था. एटीएस को नक्सलियों के खिलाफ दर्ज मामलों के अनुसंधान में भी लगाया गया था. पूर्व में यह यूनिट सीआइडी एडीजी के अधीन काम कर रही थी.
लेकिन जब अनुराग गुप्ता एडीजी सीआइडी के पद पर थे. तब पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर एटीएस को एडीजी अभियान पुलिस मुख्यालय के अधीन कर दिया गया था. एटीएस के द्वारा झारखंड में कुछ आतंकियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा चुकी है. लेकिन एटीएस को अपराधियों के खिलाफ छापेमारी का अधिकार नहीं था. लेकिन प्रस्ताव के अनुसार एटीएस के थाना क्षेत्र की सीमा अब अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरे राज्य में निर्धारित की गयी है.