पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक फिर से जाति आधारित जनगणना कराने की वकालत की है. उन्होंने कहा है कि यह किसी एक राज्य के हित की बात नहीं है, बल्कि पूरे राष्ट्र के हित का मामला है. सभी के विकास के लिए एक बार इसे करना बेहद आवश्यक है.
योजनाओं की रूपरेखा इसके आधार पर तैयार हो सकेगी. सीएम सोमवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित सभागार में आयोजित ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे.
सीएम ने कहा कि इस मुद्दे का कोई राजनीतिक संबंध नहीं है. यह सामाजिक स्तर का मामला है. सभी राज्य यह चाहते हैं. एक बार जाति आधारित जनगणना कराना सभी के विकास और उत्थान के लिए बेहद जरूरी है. सभी वर्गों के लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए. 1931 में यह अंतिम बार हुई थी.
अब इसे मौजूदा समय में एक बार जरूर करवा लेना चाहिए. इससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि किस वर्ग के लिए किस क्षेत्र में क्या करने की जरूरत है. विकास योजनाओं का खाका तैयार करने में बेहद आसानी होगी. पूरे देश में किसकी क्या स्थिति है, इसकी जानकारी सभी को मिल जायेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराना तो केंद्र का ही काम है और यह पूरे देश में एक साथ होता है. केंद्र को ही इस पर अंतिम निर्णय लेना है. अगर केंद्र इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाता है, तो फिर बिहार में इस मसले पर बात की जायेगी.
राज्य में सिर्फ जाति की गणना की जा सकती है, जनगणना नहीं हो सकती. कर्नाटक में यह एक बार हुई है. कुछ दूसरे राज्यों ने भी इस तरह की गणना की है. बिहार में इस तरह की गणना कराने के लिए मिलकर बात करेंगे.
नीतीश कुमार ने कहा कि जाति आधारित जनगणना के लिए पीएम से समय की मांग की गयी है. चार अगस्त को ही उनके कार्यालय को पत्र भेज दिया गया है. हाल में ही जदयू के सांसद भी पीएम से मिलकर इस बात को रखने गये थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी. तब केंद्रीय गृह मंत्री से मिलकर इस मसले को रखा गया. उन्होंने कहा कि बिहार में सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित किया जा चुका है.
Posted by Ashish Jha