Jharkhand News (रांची) : झारखंड की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा में स्थानीय भाषा के अलावा अब भोजपुरी, मगही, अंगिका और मैथिली भाषा को भी शामिल करने की मांग उठने लगी है. इस संबंध में भारतीय जनतंत्र मोर्चा के प्रतिनिधियों ने झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से भेंट कर मांग पत्र सौंपा है. इस पर शिक्षा मंत्री श्री महतो ने इस मसले पर ध्यान देने का आश्वासन दिया.
बता दें कि झारखंड कैबिनेट में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा में 30 अंक की परीक्षा स्थानीय भाषा में देना अनिवार्य किया है. इसके तहत संताली, मुंडारी, हो, खड़िया, कुड़ूख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया, उड़िया आदि शामिल है.
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से भेंट कर भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि राज्य सरकार को हर वर्ग विशेष पर ध्यान देना होगा. राज्य सरकार को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा में स्थानीय भाषा के अलावा भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका को भी शामिल करना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि झारखंड भाषाई दृष्टिकोण से विविध भाषा वाला प्रदेश है. राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक बहुलता की अभिव्यक्ति विभिन्न भाषाओं द्वारा होती है. मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका भाषाओं से जुड़ी जन भावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार को विचार करना होगा.
बिहार राजभाषा (झारखंड संशोधन) अध्यादेश, 2018 के तहत 12 के अलावे 4 अन्य राज्य भाषाओं को भी द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिला था. तभी यह 12 से 16 हुई. वैसे भारतीय संविधान अनुच्छेद 346 और अनुच्छेद 347 के उपबंधों के अधीन रहते हुए किसी राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा इस राज्य में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को या हिंदी को उस राज्य के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के प्रारूप में अंगीकार कर सकेगा.
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से भेंट करने वालों में अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी के अलावा उपाध्यक्ष मुकेश पांडे, महामंत्री आशीष शीतल मुंडा, संचालक मंडल के सदस्य सुशील कुमार, अनुरंजिता सिंह, नवेंदु तिवारी, आलोक कुमार सिंह, उपेंद्र यादव व श्याम बिहारी नायक मुख्य रूप से शामिल थे.
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Posted By : Samir Ranjan.