Haridwar Kumbh Coronavirus Test Fraud प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान हुए कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़े के मामले में बड़ी कार्रवाई की है. ईडी की टीम ने हरियाणा के हिसार स्थित नलवा लेबोरेटरी में छापेमारी की. ईडी की टीम पुलिसकर्मियों के साथ नलवा लेबोरेटरी पहुंची और जांच शुरू की. टीम ने तकरीबन बारह घंटे तक नलवा लेबोरेटरी में दस्तावेज खंगाले.
बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार में इस वर्ष आयोजित कुंभ मेले के दौरान कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था. कुंभ में पहुंचे करीब एक लाख से अधिक लोगों की फर्जी कोरोना जांच रिपोर्ट जारी किए जाने के आरोप लगे थे. प्रवर्तन निदेशालय अब इस मसले को लेकर एक्शन में है. इसी कड़ी में ईडी की टीम ने हरियाणा के हिसार में रेड स्क्वायर स्थित नलवा लेबोरेटरी में छापेमारी की है. आज तक की रिपोर्ट में इस संबंध में डॉक्टर जेपी नलवा का कहना है कि कोरोना जांच रिपोर्ट और बिल के फर्जीवाड़े में नलवा लैब का कोई रोल नहीं है. जांच में पूरा सहयोग किया गया है.
वहीं, रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि ईडी की टीम ने अन्य शहर के अन्य लैब्स पर भी छापे मारे. इस दौरान टीम ने कागजात के साथ ही कैस भी जब्त किए. टीम ने दस्तावेज बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य संपत्तियों के दस्तावेज भी जब्त किए हैं. मालूम हो कि प्रर्वतन निदेशालय ने हाल ही में उतराखंड पुलिस की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था.
ईडी के मुताबिक, बताया गया है कि कुंभ मेले के दौरान इस लेबोरेटरी की ओर से फर्जी बिल बनाकर घोटाला किया गया था. लैब्स को उतराखंड सरकार से अग्रिम भुगतान के तौर पर करोड़ों रुपये पहले ही मिल चुके हैं. उल्लेखनीय है कि नलवा लेबोरेटरीज का नाम कुंभ मेले में हुए कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़े में सामने आया था. इस मामले में हरिद्वार के सीएमओ की ओर से मैक्स कॉर्पोरेट चांदनी लैब, नलवा पैथोलॉजी लैब के खिलाफ हरिद्वार में मुकदमा दर्ज करवाया गया था. इनके खिलाफ 17 जून को आईपीसी की संबंधित धाराओं और आपदा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.
प्रवर्तन निदेशालय को फर्जी कोरोना टेस्टिंग की आड़ में बड़े पैमाने पर वित्तीय लेन देन और सरकारी धन की बंदरबांट का अंदेशा है. इसी सिलसिले में कई लैब्स के निदेशकों व उनके सहयोगियों के कार्यालयों और आवासीय परिसर में छापेमारी की गई. आरोप है कि बिना टेस्टिंग के ही सरकारी पोर्टल पर बड़ी संख्या में जांच किए जाने के आंकड़े दर्शा दिए. एक ही मोबाइल नंबर, पते और आधार नंबर पर पचास से सौ लोगों की जांच होना दर्शाया गया है.
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