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Araria: अंतिम संस्कार के लिए नहीं थी सरकारी व्यवस्था, लोगों ने चंदा जुटाकर श्मशान के लिए खरीदा 1 बीघा जमीन

बिहार के अररिया जिले से एक खबर चर्चे में है. यहां के स्थानीय लोगों ने मिलकर श्मशान के लिए एक बीघा जमीन खरीदा है. मामला जिले के कुर्साकांटा का है जहां मृत्यु के बाद शव के दाह संस्कार के लिए कोई उचित जगह नहीं था.स्थानीय लोगों ने चंदा करके एक बीघा जमीन श्मशान के नाम पर ही खरीद लिया है.

बिहार के अररिया जिले से एक खबर चर्चे में है. यहां के स्थानीय लोगों ने मिलकर श्मशान के लिए एक बीघा जमीन खरीदा है. मामला जिले के कुर्साकांटा का है जहां मृत्यु के बाद शव के दाह संस्कार के लिए कोई उचित जगह नहीं था. लोगों को अंतिम संस्कार में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. सरकारी व्यवस्था नहीं मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने चंदा करके एक बीघा जमीन श्मशान के नाम पर ही खरीद लिया है.

अररिया जिला के कुर्साकांटा में लोगों के लिए शवदाह एक बड़ी समस्या बना हुआ है. दरअसल, यहां शव जलाने के लिए कोई तय जगह नहीं है. लोग मजबूरन अपने खेतों में शव का दाह-संस्कार कर रहे थे. गांव वालों अपनी इस समस्या को लेकर प्रशासन से लेकर नेता तक के पास गये. लेकिन उन्हें हर जगह मायूसी ही हाथ लगी. इसका कोई समाधान नहीं किया गया.

नवभारत टाइम्स के अनुसार, सभी जगहों से थक-हार जाने के बाद स्थानीय लोगों ने फैसला किया कि वो आपस में चंदा जुटाकर ही मुक्तिधाम के लिए जमीन खरीद लेंगे. और उनका ये प्रयास सफल भी हो गया. लोगों ने मुक्तिधाम के लिए खुद ही चंदा इकट्ठा करके एक बीघा जमीन खरीद लिया. ग्रामीणों ने खरीदी गई जमीन को राज्यपाल के नाम से निबंधन कराने का फैसला लिया है.

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बताया जा रहा है कि मुक्तिधाम की समस्या को निपटाने के लिए स्थानीय लोगों ने 11 लोगों की एक कमिटी भी तैयार की. इस कमिटी को मुक्तिधाम निर्माण और संचालन की जिम्मेदारी दी गयी. बजरंगबली मंदिर के प्रांगण में ग्रामीणों की बैठक हुई. इस बैठक में आसपास के इलाके समेत कुर्साकांटा के लोगों को शवदाह में होने वाली समस्या का मुद्दा उठा. जिसके बाद चंदा करके जमीन खरीद का फैसला लिया गया.

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