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जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को मंजूरी, अब सिंगल डोज में ही मिलेगा कोरोना से प्रोटेक्शन

जॉनसन एंड जॉनसन के कोरोना वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिल गयी है. यह वैक्सीन सिंगल डोज वैक्सीन है. जल्द ही भारत में यह वैक्सीन उपलब्ध होगा.

नयी दिल्ली : जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज कोरोना वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिल गयी है. भारत में इसके आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गयी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर जानकारी दी. भारत ने अपनी वैक्सीन की झोली में एक और वैक्सीन डाला है. जॉनसन एंड जॉनसन की एकल खुराक वाली वैक्सीन को भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गयी है. अब भारत के पास 5 वैक्सीन हैं.

मंडाविया ने आगे लिखा कि यह वैक्सीन कोरोनावायरस के खिलाफ हमारे देश की सामूहिक लड़ाई को और बढ़ावा देगा. आपको बता दें कि यह अब भारत के पास पांच वैक्सन हो गयी है. वैक्सीनेशन के पहले दौर में भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोवीशिल्ड, भारत बायोटेक के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन को मंजूरी दी गयी थी. उसके बाद रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V को भी मंजूरी मिली.

अब भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर ने सिप्ला कंपनी को मॉडर्ना की वैक्सीन इंपोर्ट करने की इजाजत दे दी है. इसके बाद आज मिले जॉनसन एंड जॉनसन के वैक्सीन के साथ देश में पांच वैक्सीन को मंजूरी मिल गयी. सबसे बड़ी बात है कि जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन सिंगल डोज की वैक्सीन है. अब तक देश में इस्तेमाल हो रही सभी वैक्सीन दो डोज वाली है.

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कैसे काम करती है जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन

जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी भारत में वैक्सीन का उत्पादन कैसे करेगी यह अभी जानकारी नहीं दी गयी है. इस वैक्सीन का निर्माण SARS-CoV-2 वायरस के जेनेटिक मैटीरियल का इस्तेमाल कर की गयी है. इस वायरस के जेनेटिक कोड का इस्तेमाल स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए किया जाता है. शरीर में इस वैक्सीन के पहुंचते ही यह शरीर को वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज तैयार करने का संकेत देती है. इसके बाद शरीर में एंटीबॉडीज बनने शुरू हो जाते हैं.

इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच स्टोर किया जा सकता है. वहीं, इसके खुले हुए 9 से 25 डिग्री तापमान में 12 घंटे तक रखा जा सकता है. तीन क्लिनिकल ट्रायल के डेटा बताते हैं कि इस वैक्सीन का सिंगल डोज कोरोनावायरस के खिलाफ 85 फीसदी तक असरदार है. इस वैक्सीन का एक डोज लगवा लेने के 28 दिन बाद कोरोना संक्रमण पर अस्पताल में भर्ती होने की कम जरूरत पड़ती है और मौत से भी बचाती है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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