देश में कोरोना के मामले कम होने के बाद कई राज्यों में स्कूल खोल दिये गये हैं, वहीं कई राज्य अभी स्कूल खोलने की तैयारी में हैं. आज कर्नाटक सरकार की ओर से कहा गया है कि वहां स्थिति के मद्देनजर ही स्कूल खोले जायेंगे. इसी बीच संसद की एक समिति ने कहा है कि एक साल से अधिक से बंद स्कूलों को कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करते हुए खोला जाना जरूरी है, क्योंकि स्कूलों के लगातार बंद रहने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है.
संसदीय समिति ने कहा है कि स्कूलों के बंद रहने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है. इसलिए यह जरूरी है कि प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन हो और स्कूल खोले जायें. संसदीय समिति ने सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए टीका अनिवार्य करने की बात भी कही है. स्कूलों में थर्मल स्कैन और आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करने की बात भी कही गयी है. समिति का कहना है कि स्कूलों के बंद रहने से बच्चों के शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा है.
आईसीएमआर और एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी कई बार स्कूलों को खोलने की सिफारिश की है. डॉ गुलेरिया ने कहा है कि बच्चे वायरस के संक्रमण को अच्छे से हैंडिल कर लेते हैं और उनपर वायरस का प्रभाव उतना खतरनाक भी नजर नहीं आता है इसलिए स्कूलों को खोला जाना चाहिए क्योंकि फिजिकल क्लास के अभाव में बच्चों के पढ़ाई पर असर पड़ रहा है. फिजिकल क्लास के अभाव में बच्चे मानसिक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. आईसीएमआर ने भी कहा है कि स्कूलों को खोला जाये और माध्यमिक विद्यालय से पहले प्राथमिक विद्यालय खोले जायें. कोरोना के थर्ड वेव को लेकर बच्चों पर दुष्प्रभाव की जो बातें हो रही थीं उसका कोई प्रमाण विश्व में कहीं भी नहीं मिला है.
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Posted By : Rajneesh Anand