बिहार के शहरों की आबादी लगातार बढ़ रही है. लेकिन चीनी की खपत कम होती जा रही है. पिछले पांच-छह साल पहले तक मुजफ्फरपुर में चीनी की खपत 600 से 700 क्विंटल रोज थी. आबादी में बढ़ोतरी के लिहाज से खपत बढ़नी चाहिए थी, लेकिन इसकी खपत अब पहले से भी कम हो गई है. चीनी विक्रेताओं की माने ताे शहर के बाजार से अब रोज करीब 600 से 650 क्विंटल चीनी ही निकल रहा है.
जानकारी के अनुसार बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में चीनी के 14 बड़े कारोबारी हैं, इनके यहां मिलों से चीनी की आपूर्ति होती है, लेकिन चीनी के घटे बाजार के कारण इन कारोबारियों ने चीनी के ऑर्डर कम कर दिए हैं. जानकारों की माने तो इसका बड़ा कारण डायबिटीज मरीजों की बढ़ती संख्या और बीमारी के डर से अधिक उम्र के लोगों ने चीनी का सेवन कम कर दिया है. डॉक्टर भी 50 से अधिक उम्र वाले लोगों को कम चीनी सेवन की सलाह दे रहे है.
इस लिहाज से शहर में चीनी की खपत कम हो गई है. किराना दुकानदार विजय कमार कहते हैं कि पहले जिन घरों में हर महीने पांच किलो चीनी जाता था, वहां अब चार किलो ही जा रहा है. ग्रीन टी का प्रचलन बढ़ने के बाद अब अब कई घरों में बेड टी में चीनी का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. वहीं कई घरों में बेड टी की परंपरा भी समाप्त हो गयी है.
बाजार में हर वस्तुओं की मांग बढ़ रही है, लेकिन चीनी की घट रही है. पिछले चार-पांच वर्षों से औसत खपत एक जैसी थी, लेकिन पिछले एक वर्ष से चीनी की खपत में कमी आयी है. दुकानदारों के ऑर्डर अब पहले जैसे नहीं आ रहे हैं. डायबिटीज और कई सारी बीमारियों के डर से लोगों ने चीनी का सेवन कम कर दिया है.
– रवि मोटानी, चीनी डीलर
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शहर में डायबिटीज मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. आनुवांशिक होने के कारण यह बीमारी तो बढ़ ही रही है. तनाव, अनियमित जीवन-शैली के कारण युवा भी इस रोग के शिकार हो रहे हैं. बहुत सारे मरीजों को तो पता ही नहीं होता कि वे इस बीमारी से ग्रसित हैं. दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए आते हैं और जब जांच करायी जाती है तो डायबिटीज की पुष्टि होती है. ऐसे मरीजों को चीनी नहीं खाने की सलाह दी जाती है.
– डॉ नवीन कुमार, फिजिशियन
Posted By : Avinish Kumar Mishra