assistant professor eligibility 2021 in jharkhand रांची : राज्यपाल रमेश बैस ने विवि और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की सीधी नियुक्ति के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य करने से संबंधित रेगुलेशन पर अपनी मुहर लगा दी है. अब उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा अधिसूचना जारी करने की तिथि से झारखंड में यह नियम लागू हो जायेगा. हालांकि, जो नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है, उस पर यह नियम लागू नहीं होगा. अधिसूचना जारी होने की तिथि से नयी रिक्ति के आधार पर शुरू होनेवाली नियुक्ति प्रक्रिया में यह नियम लागू होगा.
नये नियम के अनुसार, नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातकोत्तर उत्तीर्ण होना जरूरी है. 55 प्रतिशत अंक लाने वाले ही पीएचडी कर सकेंगे. राज्य सरकार ने यूजीसी रेगुलेशन-2018 में निहित शिक्षक नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता को स्वीकार किया है. राज्य कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद इसे राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया था. नये रेगुलेशन के मुताबिक, नेट पास अभ्यर्थी को भी पीएचडी की डिग्री हासिल करनी होगी.
नियुक्ति में यूजीसी के नियमानुसार, 11 जुलाई 2009 से पूर्व के पीएचडीधारी को भी सशर्त छूट मिलेगी. उनके लिए अभ्यर्थी के पीएचडी शोध प्रबंध का मूल्यांकन कम से कम दो बाहरी परीक्षकों द्वारा किया गया हो. साथ ही पीएचडी के लिए एक खुली मौखिक परीक्षा आयोजित की गयी हो. पीएचडी कार्य का प्रकाशन दो अनुसंधान पत्रों में हो, जिनमें कम से कम एक विषय से संबंधित जर्नल में प्रकाशित किया हुआ हो.
इसके अलावा, सेमिनार में शोध पत्र प्रस्तुत किया गया हो. वैसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति को प्राथमिकता मिलेगी, जिनका शैक्षणिक रिकॉर्ड बेहतरीन हो. 55 प्रतिशत अंक के साथ संबंधित विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री हो, लेकिन जहां ग्रेडिंग प्रणाली लागू हो, वहां प्वाइंट स्केल में समतुल्य ग्रेड मिला हो. शोध पत्र को यूजीसी केयर लिस्ट में भी शामिल किया हो. यही नियम वर्ष 2009 के बाद पीएचडी करनेवाले अभ्यर्थी के साथ भी लागू होगा. एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए भी न्यूनतम अर्हता पीएचडी व एपीआइ स्कोर (एकेडमिक परफॉरमेंस इंडिकेटर) जरूरी है. रिसर्च निर्देशन का साक्ष्य जरूरी है.
असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर में प्रोन्नति के लिए पीएचडी आवश्यक होगा. इसके अलावा सह शैक्षणिक गतिविधियां मसलन एनएसएस, एनसीसी, कल्चरल, सामाजिक कार्य में नेतृत्व, प्रशासनिक पदों पर कार्य, परीक्षा से संबंधित कार्य, शोध निर्देशन आदि जोड़े जायेंगे. अभ्यर्थी प्रोन्नति के लिए शिक्षक का सेमिनार, सिंपोजियम, व्याख्यानमाला आदि में सहभागिता, यूजीसी द्वारा स्वयं, मूक आदि में कम्यूनिकेशन मेटेरियल तैयार करना, शोध पत्र का जर्नल, बुक में प्रकाशन, शैक्षणिक अनुभव आदि को भी शामिल किया जायेगा.
Posted By : Sameer Oraon