13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सुरक्षा परिषद व भारत

सात दशकों से अधिक समय में यह पहला मौका होगा, जब सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता के लिए भारतीय राजनीतिक नेतृत्व की उपस्थिति होगी.

भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली इकाई सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बनना एक महत्वपूर्ण परिघटना है. दुनिया कोरोना महामारी, जलवायु परिवर्तन, गृह युद्ध, विभिन्न देशों के बीच विवाद, आतंकवाद आदि गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है. एक महीने की अध्यक्षता की अवधि में भारत सामुद्रिक सुरक्षा, शांति स्थापना तथा आतंकवाद रोकने जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है, लेकिन अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी से उत्पन्न हुई स्थिति भी बड़ा विषय बन सकता है.

इस माह के मध्य में अमेरिकी सेनाओं की वापसी का काम पूरा हो जायेगा. इसी बीच तालिबान ने देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है और अफगानिस्तान एक बड़े गृहयुद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है. जानकारों की मानें, तो बहुत जल्दी सुरक्षा परिषद को इस मसले पर बैठक करनी पड़ सकती है. इसी साल एक जनवरी से सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का दो साल का कार्यकाल शुरू हुआ है. भारत जिन विषयों पर जोर देना चाहता है, वे वैश्विक शांति और स्थायित्व के लिए बेहद अहम हैं.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र से लेकर साउथ चाइना सी और फारस की खाड़ी में कई कारणों से तनातनी की स्थिति है. भारत समेत कई देश आतंकवाद से जूझ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र शांति सेना ने अनेक देशों में गृह युद्ध से आम लोगों को बचाने तथा अंतरराष्ट्रीय समझौतों को लागू कराने में बड़ी भूमिका अदा की है. इस सेना में भारतीय सैनिकों का उल्लेखनीय योगदान रहा है. महामारी की रोकथाम और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटना बड़ी प्राथमिकताओं में है.

उम्मीद है कि अध्यक्ष के रूप में भारत न केवल सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी को मजबूत करेगा, बल्कि अहम मसलों की ओर अंतर राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकृष्ट करने में भी सफल होगा. इस उम्मीद के ठोस आधार हैं. इस दौरान वैश्विक महत्व के मुद्दों पर एक बैठक की अध्यक्षता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं उपस्थित होंगे. कुछ बैठकों में यह भूमिका विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला निभायेंगे.

सात दशकों से अधिक समय में यह पहला मौका होगा, जब सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता के लिए भारतीय राजनीतिक नेतृत्व की उपस्थिति होगी. पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस महत्वपूर्ण संस्था की अध्यक्षता करेगा. इससे पहले 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने सुरक्षा परिषद की बैठक में भाग लिया था.

प्रधानमंत्री मोदी का यह निर्णय इस तथ्य को इंगित करता है कि हमारा राजनीतिक नेतृत्व विदेश नीति और वैश्विक मुद्दों को लेकर आगे बढ़कर नेतृत्व करने की इच्छाशक्ति रखता है. बीते सात बरसों में विभिन्न देशों के दौरों, बहुपक्षीय शिखर सम्मेलनों में भागीदारी, विश्व नेताओं की मेजबानी तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में अपना पक्ष रख कर प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार यह सिद्ध किया है कि वैश्विक मंच पर भारत अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है और उसमें यह क्षमता भी है. इस ऐतिहासिक पहल का दीर्घकालिक प्रभाव होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें