Jharkhand News (पीयूष तिवारी, गढ़वा) : गढ़वा जिले में बिना वेटनरी डॉक्टर्स के ही पशुपालन विभाग पशुओं का इलाज कर रहा है. अगस्त महीने से गढ़वा जिले में पशुओं को बरसाती बीमारी मुंहपका, खोरहा-चपका आदि से संबंधित टीकाकरण अभियान भी शुरू किया जा रहा है, लेकिन हास्यास्पद स्थिति यह है कि राज्यस्तर से इसके करने का निर्देश तो दे दिया गया, लेकिन जिले में वेटनरी डॉक्टर्स की पदस्थापना नहीं की गयी. इस वजह से यहां के पदाधिकारी से लेकर पशुपालक तक चिंतित नजर आ रहे हैं. वर्तमान में पूरे जिले के लिए सिर्फ 4 वेटनरी डॉक्टर्स ही पदस्थापित हैं. दो दिन पूर्व गढ़वा जिले से एक साथ 4 वेटनरी डॉक्टर्स का ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन इसकी जगह पर एक भी वेटनरी डॉक्टर की पदस्थापना नहीं की गयी है.
गढ़वा जिले में प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के साथ-साथ भ्रमणशील वेटनरी डॉक्टर के दर्जनों पद खाली पड़े हुए हैं. इस वजह से अगस्त महीने से शुरू होनेवाले बरसाती बीमारियों के टीकाकरण का कार्य प्रभावित हो रहा है. इसके अलावा मुख्यमंत्री पशुधन विकास कार्यक्रम, प्रत्येक पंचायत में लगनेवाले विशेष पशु चिकित्सा शिविर के अलावे नियमित रूप से चलनेवाले कृत्रिम गर्भाधान कार्य, पशुओं के इलाज आदि का कार्य प्रभावित हो रहा है.
एक-एक वेटनरी डॉक्टर्स को कई-कई प्रखंडों का प्रभार देकर कार्य कराया जा रहा है. इन सभी प्रखंडों में कागजी खानापूर्ति में ही चिकित्सक उलझ कर रह जा रहे हैं. दूसरे कार्यों जिसमें पशुओं का इलाज आदि शामिल है, के लिए उनके पास समय ही नहीं रह जाता है. वेटनरी डॉक्टर्स के नहीं रहने की वजह से गावों की बात तो दूर, शहरी क्षेत्र के पशुपालक भी झोलाछाप वेटनरी डॉक्टर्स से ही इलाज कराने को मजबूर हैं.
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गढ़वा जिले में प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय में पदस्थापित भ्रमणशील वेटनरी डॉक्टर्स के 17 में से 13 पद खाली पड़े हुए हैं. इस पद के 4 वेटनरी डॉक्टर्स का ट्रांसफर हो गया है. अभी चार ही भ्रमणशील वेटनरी डॉक्टर्स (मेराल, नगरउंटारी, भवनाथपुर व रंका) कार्यरत हैं. इसी तरह जिले में सृजित 8 प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के पद में से सभी खाली पड़े हुए हैं. पूर्व में मेराल व नगरउंटारी में एक-एक प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी थे, लेकिन उनका भी ट्रांसफर हो जाने से सभी पद खाली हो गये हैं.
जिले में अवर प्रमंडल पशुपालन पदाधिकारी एवं राजकीय पशु औषधालय में पदस्थापित पशु शल्य चिकित्सक का भी एक-एक पद सृजित है. इन दोनों पद पर एक-एक पदाधिकारी पदस्थापित हैं, लेकिन यहां पदस्थापित जिला पशुपालन पदाधिकारी धनिक लाल मंडल को गव्य विकास विभाग का लंबे समय से अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. इस वजह से वे दोनों विभाग के बीच कागजी प्रक्रिया में उलझे रहते हैं.
इस संबंध में जिला पशुपालन पदाधिकारी धनिक लाल मंडल ने बताया कि सरकार के निर्देश के आलोक में जो चिकित्सक व कर्मी हैं, उन्हीं से किसी तरह काम चलाया जा रहा है.
Posted By : Samir Ranjan.