कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की सदस्य और पार्टी की बंगाल इकाई के दिवंगत सचिव अनिल विश्वास की बेटी अजंता विश्वास द्वारा लिखे गये एक आलेख से यहां इस वामपंथी दल की भृकुटि तन गयी है.
तृणमूल के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में अजंता विश्वास के आलेख के दो खंड बुधवार व गुरुवार को प्रकाशित हुए. माकपा के एक नेता ने कहा कि पार्टी में कई लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या उन्होंने (अजंता विश्वास ने) प्रतिद्वंद्वी दल के मुखपत्र में प्रकाशन के लिए अपना आलेख देने से पहले पार्टी नेतृत्व से अनुमति ली थी.
‘बंगो राजनीतिते नारीर भूमिका’ अर्थात बंगाल की राजनीति में महिलाओं की भूमिका विषयक आलेख के पहले खंड में रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर अजंता विश्वास ने देशभक्त सरोजिनी देवी व बसंती देवी की चर्चा की है.
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दूसरे खंड में उन्होंने स्वतंत्रता कार्यकर्ता प्रतिलता वाड्डेदार व कल्पना दत्ता तथा उन महिलाओं के बारे में लिखा है, जिन्होंने क्रांतिकारियों को अपने घरों में शरण देकर उनकी परोक्ष रूप से मदद की.
तृणमूल सूत्रों ने बताया कि तीसरे अंक, जो इस सप्ताह बाद में आयेगा, में राज्य की राजनीति के बाद के चरण को शामिल किये जाने की संभावना है और उसमें ममता बनर्जी जैसे नेताओं का काल भी होगा. महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में वामपंथी शिक्षक संघों की सदस्य अजंता विश्वास से इस संबंध में टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो पाया है.
तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि किसी भी आलेख को उसकी सामग्री और समृद्ध ऐतिहासिक संदर्भों, न कि लेखक के पिता या उसकी राजनीतिक पहचान के आधार पर आंका जाना चाहिए. श्री घोष ही तृणमूल के मुखपत्र का कामकाज देखते हैं और 21 जुलाई से इसे दैनिक के तौर पर पेश किया गया.
वहीं, माकपा की प्रदेश समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि मुझे इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना है. माकपा के एक अन्य नेता ने कहा कि तृणमूल के मुखपत्र में प्रमुख रूप से प्रदर्शन के साथ आलेख के खंडों के प्रकाशन से पार्टी में हलचल है. उन्होंने कहा कि पार्टी की प्रदेश इकाई ने अनौपचारिक रूप से इस पर चर्चा की है. लेकिन कोई औपचारिक रुख नहीं अपनाया है.
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तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि कथावस्तु अहम है, न कि लेखक की पहचान. उन्होंने कहा : वैसे भी माकपा के नेता बिमान बसु ने इस बात की तरफदारी की है कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए हमें (वामदल व तृणमूल को) हाथ मिला लेना चाहिए. मैं समझता कि ऐसे आंदोलन के लिए समय आ गया है. अजंता विश्वास माकपा की छात्र शाखा स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की सक्रिय सदस्य भी हैं.
Posted By: Mithilesh Jha