नई दिल्ली/सिलचर : पूर्वोत्तर भारत के असम और मिजोरम का सीमा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाला है. रविवार की देर रात ऐटलांग नदी के पास वायरेंगटे गांव के किसानों की झोपड़ी में आग लगाने के बाद सोमवार को खूनी हिंसा भड़क उठी, जिसमें 5 पुलिसकर्मी और एक आम नागरिक की मौत हो गई. हालांकि, इस हिंसक झड़प में 60 लोग घायल हो गए. इस घटना के एक दिन बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस सीमा विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का ऐलान किया है.
मंगलवार को असम की भाजपा सरकार ने कहा कि वह ‘इनरलाइन फॉरेस्ट रिजर्व’ को नष्ट होने और अतिक्रमण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को सिलचर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से जानकारी मिली है कि सीमा पर सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है और झूम खेती के लिए जंगलों को साफ भी किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए किसी भी कीमत पर इजाजत नहीं दी जा सकती. सरमा ने कहा कि हम जंगलों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
बता दें कि पूर्वोत्तर भारत में झूम खेती करने के लिए पहले खेतों से पेड़ों और वनस्पतियों को काटकर जला दिया है. मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि मिजोरम के साथ जमीन को लेकर किसी प्रकार का विवाद नहीं है, बल्कि मुद्दा रिजर्व फॉरेस्ट पर होने वाले अतिक्रमण को बचाने का है. हालांकि, फॉरेस्ट एरिया में हमारी कोई बस्तियां नहीं हैं और अगर मिजोरम सबूत दे सकता है, तो हम तुरंत बाहर निकल जाएंगे. उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य असम की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है, इसके बावजूद सीमा की सुरक्षा की गई है और हम हर कीमत पर इसकी सुरक्षा करना जारी रखेंगे.
गौरतलब है कि असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद इस कदर बढ़ गई कि वह सोमवार को खूनी संघर्ष में बदल गया. इसके बाद केंद्र ने दोनों राज्यों को सीमा चौकी से अपने बलों को हटाने का निर्देश दिया था. सरमा ने कहा कि हमने ऐसा कर लिया है, लेकिन मिजोरम ने अभी तक ऐसा नहीं किया है. हमारे पुलिस बल चौकी से 100 मीटर की दूरी पर तैनात हैं. उन्होंने कहा कि असम सुरक्षा कड़ी करने के लिए मिजोरम की सीमा से लगते जिलों कछार, करीमगंज और हैलाकांडी में तीन कमांडो बटालियन तैनात करेगा.
Posted by : Vishwat Sen