Bokaro Latest News, Jharkhand News बोकारो : मरीज का इलाज किये बिना ही बोकारो के संजीवनी अस्पताल ने आयुष्मान का बिल क्लेम कर दिया. संबंधित मरीज गीता देवी ने बताया कि वह अस्पताल में आयुष्मान कार्ड बनवाने गयी थी, पर वहां इलाज नहीं कराया है. दूसरी ओर अस्पताल का दावा है कि महिला का इलाज हुआ है. यह खुलासा सिविल सर्जन द्वारा गठित जांच टीम की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया है कि आयुष्मान योजना के तहत इंश्योरेंस कंपनी से भुगतान कराने के लिए गलत तरीके अपनाये गये. ऐसा निजी अस्पतालों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है.
जांच रिपोर्ट 25 जून 2021 को जसास के संयुक्त सचिव सह अपर कार्यकारी निदेशक दिलेश्वर महतो को सिविल सर्जन ने भेज दी है.डॉक्टर ने ऑन कॉल की दी थी सहमति, बना दिया ड्यूटी डॉक्टर : संजीवनी अस्पताल की जांच में टीम ने पाया कि एचइएम पोर्टल में ड्यूटी डॉक्टर के रूप में डॉ टीपी सिंह का नाम वर्णित है. वहीं डॉ टीपी सिंह ने लिखित बयान में कहा है कि उन्होंने ‘ऐज ऑन कॉल’ डॉक्टर के रूप में सेवा देने की सहमति दी थी, लेकिन उनके द्वारा अभी तक किसी भी अस्पताल में किसी भी मरीज को परामर्श नहीं दिया गया है.
वहीं, जांच में पाया गया कि एचइएम पोर्टल में डॉ नसीम ड्यूटी डाॅक्टर के रूप में वर्णित हैं, पर वर्तमान मेंं वह सदर अस्पताल बोकारो में कार्यरत हैं. अस्पताल ने बताया कि डॉ नसीम ने लिखित में कहा है कि वह ऑन कॉल ही उपलब्ध रह पायेंगे. इधर, जांच के दौरान डाॅ रंजीत कुमार ड्यूटी डॉक्टर के रूप में उपस्थित थे, लेकिन पार्टल में उनका नाम अपडेट नहीं है. अस्पताल में एक ही ड्यूटी डॉक्टर है, जबकि योजना के अनुसार दो डॉक्टर होना चाहिए.
जांच रिपोर्ट में दूसरी मरीज कंचन देवी (PA1XS7A7V) ने बताया कि उसका ऑपरेशन डॉ नसीम और डॉ दीपक ने संजीवनी अस्पताल में किया है. वहीं, संजीवनी अस्पताल ने कहा है कि महिला की सर्जरी डाॅ कुसुम लता ने डॉ दीपक की मदद से की है. रिपोर्ट में लिखा है कि अस्पताल में नियुक्त नर्स का झारखंड नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल का सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं किया गया. मरीजों की भर्ती का समय दर्ज नहीं है. नेत्र विभाग का ओटी बंद मिला अौर ओपीडी में आवश्यक उपकरण नहीं पाये गये.
आयुष्मान भारत योजना में बोकारो के कुछ अस्पताल और डॉक्टरों द्वारा की गयी गड़बड़ी की जांच का जिम्मा सिविल सर्जन को दिया गया था. जांच रिपोर्ट अभी मेरे पास नहीं आयी है. रिपोर्ट आने पर ही कुछ कहा जा सकता है.
दिलेश्वर महतो, संयुक्त सचिव सह अपर कार्यकारी निदेशक जसास
Posted : Sameer Oraon