Jharkhand News (जमशेदपुर) : पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत मुसाबनी प्रखंड के रोआम में स्थित आदि दुर्गा स्टील कंपनी का झारखंड विधानसभा की प्रश्न व ध्यानाकर्षण समिति के सदस्यों ने फिजिकल वेरिफिकेशन किया. इस दौरान समिति ने पाया कि यहां सिर्फ कंपनी की चहारदीवारी बनी है और परिसर में सिर्फ पोल लगे हैं. जबकि गत मार्च महीने में राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंप दी गयी थी कि इस कंपनी से सील बंद जूस का उत्पादन शुरू हो गया है. समिति की जांच में पता चला कि कागजों में उत्पादन दिखाया गया है, लेकिन जमीन पर कुछ हुआ ही नहीं है.
झारखंड विधानसभा की प्रश्न व ध्यानाकर्षण समिति ने रविवार की शाम जमशेदपुर सर्किट हाउस में जिले के प्रभारी डीसी सह डीडीसी परमेश्वर भगत समेत सभी विभागों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. इसमें दुर्गा स्टील समेत जियाडा के माध्यम से जिले के लैंड बैंक से 60 कंपनियों को दी गयी जमीन और इन कंपनियों में उत्पादन शुरू हुआ की नहीं, इसकी समीक्षा की गयी.
बैठक के बाद समिति के चेयरमैन रामदास सोरेन ने प्रभात खबर को बताया कि राज्य सरकार ने जियाडा के माध्यम से 60 कंपनियों को उत्पादन शुरू करने के लिए सशर्त जमीन दी थी. जमीन देने के पीछे सरकार का उद्देश्य था कि स्थानीय लोगों को रोजगार मिले. समिति ने समीक्षा में कितने स्थानीय लोगों को नौकरी दी गयी है, इसकी सूची मांगी है.
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उन्होंने कहा कि 60 कंपनियों में से एक में मार्च महीने में उत्पादन शुरू करने के संबंध में रिपोर्ट दी गयी थी. लेकिन, विधानसभा की प्रश्न-ध्यानाकर्षण समिति जब मुसाबनी पहुंची, तो वहां उत्पादन नहीं हो रहा था. जबकि कंपनी को जमीन आवंटित करने के मामले में स्पष्ट नियम अंकित है कि आवंटन की तिथि से अगले दो वर्षों में उत्पादन शुरू नहीं होने पर आवंटन रद्द कर दिया जायेगा.
इस संबंध में जियाडा के पदाधिकारियों से 15 दिनों में रिपोर्ट मांगी गयी है कि उत्पादन शुरू नहीं करने पर कितनी कंपनियों की जमीन आवंटन रद्द की गयी है और कितने को नोटिस दिया गया है. हालांकि, समीक्षा बैठक में जियाडा के पदाधिकारियों ने अक्तूबर-नवंबर तक कंपनी में उत्पादन शुरू करवाने का दावा किया.
रोआम के रैयतदार हरिमोहन महतो और लाल मोहन महतो ने कहा कि HCL द्वारा 1970-72 में 14 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गयी थी. इस दौरान हमलोगों को पूरी तरह से मुआवजा भी नहीं मिला है. HCL कंपनी बंद हो जाने के बाद अधिग्रहण की गयी कुल 218.14 एकड़ जमीन 2003-04 में झारखंड सरकार को दे दी गयी थी.
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इसके बाद राज्य सरकार द्वारा उद्योग लगाने के लिए जियाडा को जमीन दी गयी. जबकि नियम के अनुसार, जमीन रैयतदार को वापस लौटाना चाहिए था. मामले को लेकर रामदास सोरेन ने कहा कि विधानसभा समिति 15 दिनों में समस्या के स्थायी समाधान करने के लिए उद्योग सचिव, रैयत, बिजली जीएम, डीसी, एसडीओ और सीओ को बुलायेगी.
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा की प्रश्न व ध्यानाकर्षण समिति गत 20 जुलाई, 2021 से राज्य में जिला भ्रमण को निकली है. इसमें पलामू, बोकारो, धनबाद, सरायकेला, चाईबासा में जांच कर चुकी है.
Posted By : Samir Ranjan.