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बिहार की उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव, पांच साल में छात्राओं ने हर मामले में छात्रों को पीछे छोड़ा

उच्च शिक्षा में नियमित माध्यम से पढ़ाई करने वाली लड़कियों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है. अहम बात यह है कि बिहार में उच्च शिक्षा के करीब सभी आयामों में छात्राओं के नामांकन का अनुपात छात्रों की तुलना में बेहतर है.

राजदेव पांडेय, पटना. उच्च शिक्षा में नियमित माध्यम से पढ़ाई करने वाली लड़कियों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है. अहम बात यह है कि बिहार में उच्च शिक्षा के करीब सभी आयामों में छात्राओं के नामांकन का अनुपात छात्रों की तुलना में बेहतर है.

पिछले पांच वर्षेां में नियमित माध्यम से उच्च शिक्षा में लड़कियों की संख्या में 85,910 का इजाफा हुआ है, जबकि इसी समयावधि में छात्रों की संख्या में केवल 23,218 का इजाफा हुआ है. अगर यही रुझान बना रहा तो अगले पांच साल में उच्च शिक्षा के विभिन्न आयामों में लड़कियों का नामांकन लड़कों की तुलना में अधिक हो जायेगा.

उच्च शिक्षा में यह बदलाव इसलिए भी अहम है कि लड़कियों की उच्च शिक्षा में बढ़ती दखल सामाजिक रूप से संतुलित है. दरअसल, एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम वर्ग की लड़कियों ने उच्च शिक्षा में अपनी अच्छी-खासी पैठ बनायी है.

मुस्लिम वर्ग के छात्र-छात्राएं अब लगभग बराबर

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मुस्लिम वर्ग की लड़कियों में उच्च शिक्षा के प्रति जबरदस्त ललक देखी गयी है. पिछले पांच वर्षों में उच्च शिक्षा में नामांकन कराने वाली मुस्लिम लड़कियों की तादाद में 22,530 का इजाफा हुआ है. वहीं, मुस्लिम वर्ग के छात्रों की संख्या में इसी समयावधि के दौरान केवल 3904 का इजाफा हुआ है.

मुस्लिम वर्ग के लड़कों की संख्या शैक्षणिक सत्र 2015-16 में 79,478 थी, जो अब बढ़ कर 83,382 हो गयी है. वहीं, इसी समयावधि के दौरान छात्राओं की संख्या 58,037 से बढ़ कर मुस्लिम लड़कों के लगभग बराबर 80,567 हो गयी है.

पांच वर्षों में छात्र व छात्राओं की संख्या में वृद्धि

स्नातक

विद्यार्थी 2015-16 2019-20 वृद्धि

छात्र 7,94.322 8,01,196 6874

छात्रा 5,84,728 6,47,494 62,766

डिप्लोमा कोर्स

विद्यार्थी 2015-16 2019-20 वृद्धि

छात्र 18,802 42,497 23,695

छात्रा 6,538 25,277 18,739

स्नातकोत्तर

विद्यार्थी 2015-16 2019-20 वृद्धि

छात्र 46,962 37,369 -9593

छात्रा 32,779 35,886 3107

पीएचडी

विद्यार्थी 2015-16 2019-20 वृद्धि

छात्र 648 788 140

छात्रा 350 401 51

कमजोर वर्गों की छात्राओं में भी हुई अच्छी बढ़ोतरी

  1. 2015-16 में एससी छात्राओं की संख्या 59,270 थी, जो 2019-20 में 15,298 बढ़ कर 74,568 हो गयी.

  2. एसटी छात्राओं के नामांकन में पांच साल में करीब दो गुना इजाफा हुआ है. 2015-16 में इनकी संख्या महज 7,627 थी, जो 2019-20 में बढ़ कर 13286 हो गयी है.

  3. पांच साल में ओबीसी छात्राओं की संख्या बढ़ कर 3,56,262 हो गयी है. इसी समयावधि के दौरान इस वर्ग के लड़कों के नामांकन की संख्या में केवल 80,189 का इजाफा हुआ है.

आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, स्नातकोत्तर में 2015-16 में नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या 46,962 थी, जो वर्ष 2019-20 में 9593 घटकर 37,369 रह गयी है. वहीं छात्राओं के नामांकन की संख्या 2015-16 में 32,779 से 3107 बढ़ कर 35,886 हो गयी है. वहीं, स्नातक में लड़कियों की संख्या में पांच साल में 62,766 बढ़ कर 6,47,494 हो गयी है. वहीं, लड़कों की संख्या में पांच साल में मात्र 6874 बढ़ कर 8,01,196 हो गयी है.

डिप्लोमा कोर्स में भी लड़कियां आगे

डिप्लोमा कोर्स में बिहार में लड़कियों ने सबसे बड़ी छलांग लगायी है. डिप्लोमा कोर्स में 2015-16 में लड़कियों की संख्या 6,538 थी. 2019-20 में यह संख्या लगभग चार गुनी बढ़ कर 25,277 हो गयी है. वहीं छात्रों के नामांकन में इजाफा दो गुने से कुछ ही अधिक हुआ है.

शैक्षणिक सत्र 2015-16 में इनकी संख्या 18,802 से बढ़ कर 42,497 हो गयी है. पीएचडी कोर्स के नामांकन में भी लड़कियों की संख्या बढ़ी है, लेकिन रफ्तार अभी कुछ धीमी है. इस तरह अन्य कोर्स में वृद्धि हुई है.

Posted by Ashish Jha

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