नयी दिल्ली : नयी दिल्ली : वैक्सीन नीति में परिवर्तन को लेकर तृणमूल कांग्रेस की माला रॉय और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में सरकार ने कहा है कि घरेलू कोरोना वैक्सीन निर्माताओं से खरीद समझौतों में प्रवेश करने में कोई देरी नहीं हुई है.
The Modi govt's #VaccineJumla is putting the entire nation at risk.
— Congress (@INCIndia) July 23, 2021
सवालों के जवाब में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने शुक्रवार को संसद को बताया कि घरेलू कोरोना वैक्सीन निर्माताओं से खरीद समझौतों में प्रवेश करने में कोई देरी नहीं हुई है. साथ ही कहा कि आपूर्ति के लिए अग्रिम भुगतान भी किया गया है.
प्रश्न के जवाब में बताया गया कि कोरोना वैक्सीन कार्यक्रम पर वैक्सीन की खरीद और परिचालन लागत के रूप में 9,725.15 करोड़ रुपये का व्यय हुआ है. उन्होंने बताया है कि अगस्त और दिसंबर के बीच देश में कोरोना वैक्सीन की कुल 135 करोड़ खुराक उपलब्ध होने की उम्मीद है.
वहीं, कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य मंत्रालय के जवाब को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के जवाब ने मोदी सरकार के ‘वैक्सीन जुमला’ को बेनकाब कर दिया है. उन्होंने दिसंबर 2021 तक 108 करोड़ भारतीयों को 216 करोड़ खुराक के साथ वैक्सीन देने का खाका होने का दावा किया था, लेकिन कोई निश्चित समय सीमा नहीं है.
कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा है कि यह बताने की जरूरत नहीं है कि मोदी सरकार ने वैक्सीन की खरीद में देरी कैसे की. देश के सभी लोग जानते हैं यूके, यूएस, ईयू और अन्य सरकारों ने मई 2020 की शुरुआत में वैक्सीन की खरीद शुरू कर दी थी, लेकिन जनवरी 2021 में ही मोदी सरकार जाग गयी थी.
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि देश को इस संकट से उबारने के लिए उपलब्ध संसाधनों का भी उपयोग करने में मोदी सरकार बुरी तरह विफल हो रही है. 35,000 करोड़ रुपये के बजट में से मात्र 9,725 करोड़ रुपये का ही उपयोग किया गया है. मोदी सरकार का ‘वैक्सीन जुमला’ पूरे देश को खतरे में डाल रहा है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.