नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ भारती प्रवीण ने शुक्रवार को लोकसभा को सूचित किया कि दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति-2021 को अंतिम रूप दे दिया गया है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार बीमारियों के इलाज के लिए 20 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिन्हें एक बार इलाज की जरूरत होती है.
इसके अलावा राष्ट्रीय नीति-2021 के तहत दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए स्वैच्छिक क्राउडफंडिंग को मंजूरी दी जा चुकी है. राष्ट्रीय नीति को सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है. यह बात केंद्रीय राज्यमंत्री ने राज्यसभा को सूचित करते हुए हुए कही.
साथ ही मंत्री डॉ भारती प्रवीण ने कहा कि ऐसी दुर्लभ बीमारी, जिसके इलाज में उच्च लागत आती है, सरकार के लिए पूर्ण रूप से वित्त पोषित करना मुश्किल होगा. हालांकि, अधिसूचित अस्पतालों को साथ लेकर डिजिटल प्लेटफॉर्म बना कर इस अंतर को भरा जा सकता है, जहां ऐसे मरीज इलाज करा रहे हैं, या आते हैं.
मंत्री ने कहा कि इसके लिए ”अधिसूचित अस्पताल मरीज और बीमारी से संबंधित सूचना, उपचार की अनुमानित लागत और दान / योगदान के लिए बैंक खातों का विवरण ऑनलाइन प्रणाली के जरिये साझा करेंगे. मरीजों का विवरण देखने और धन दान करने में दाता सक्षम होंगे. साथ ही समाज के विभिन्न वर्गों के लोग दान कर सकेंगे, जिसका उपयोग दुर्लभ बीमारियों के मरीजों के इलाज में किया जायेगा.”
केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट सेक्टर को भी इसमें शामिल करने का प्रावधान किया है. पीएसयू और कॉरपोरेट घरानों को कंपनी अधिनियम के साथ-साथ कंपनियों के सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रावधानों के मुताबिक योगदान के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. निवारक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देना सीएसआर गतिविधियों की अनुसूची में सूची में शामिल है.
उन्होंने कहा कि फंड को पहले मरीज के इलाज में खर्च किया जायेगा. इसके बाद शेष पैसे का इस्तेमाल शोध के लिए भी किया जा सकता है. मार्च 2021 में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इस नीति को अनुमोदित किया था. मंत्रालय ने तक कहा था कि इस नीति के तहत केंद्र एक बार के इलाज के लिए अधिकतम 20 लाख रुपये तक प्रदान करता है. इसका फायदा बीपीएल परिवारों के साथ-साथ प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के मानदंडों के अनुसार जो पात्र हैं, वे ले सकते हैं.
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