पटना. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को कहा कि माध्यमिक कक्षाओं को खोलने के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग खोलने की अनुमति दी जा सकती है. हालांकि, यह अनुमति सशर्त होगी. उन्होंने साफ किया कि इसका अंतिम निर्णय छह अगस्त को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की होने वाली बैठक में लिया जायेगा.
शिक्षा मंत्री ने प्रभात खबर से कहा कि कोचिंग खोलने का निर्णय कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. यह देखते हुए कि जिन क्षेत्रों में कोचिंग चलती हैं, वहां सोशल डिस्टैंटिंग मैंटेन करना मुश्किल काम है. चौधरी ने दो टूक कहा कि सरकार इस संबंध में समय पर निर्णय लेगा. कोरोना संक्रमण की स्थिति तय करेगी कि 50% उपस्थिति के साथ कोचिंग खोली जाये या नहीं.
दरअसल, कोचिंग संस्थान बेहद तंग इलाकों में हैं. यहां कोरोना संक्रमण की आशंका स्कूल की तुलना में कहीं अधिक है. उन्होंने दोहराया कि अभी शिक्षण संस्थाओं में फुल स्ट्रेंथ में कक्षाओं का संचालन नहीं किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रतियोगी परीक्षा को अनुमति देने का निर्णय गृह विभाग लिया है. लिहाजा प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग खोलने की बात भी उठने लगी है.
इससे पहले शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शिक्षा विभाग के इ-संबंधन पोर्टल के लोकार्पण के अवसर पर एक सवाल के जवाब में कहा कि स्कूल में बच्चे पढ़ने के अलावा अनुशासन भी सीखते हैं. इसलिए विभाग की मंशा है कि प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक स्कूल खोले जाएं, ताकि बच्चों के पढ़ने और सीखने की आदत बनी रहे. स्कूलों के काफी समय से बंद रहने से बच्चों के ‘आउट ऑफ ट्रैक’ होने का डर है. हालांकि, स्कूल खोलने का निर्णय छह अगस्त को बैठक में लिया जाना है. उसमें सरकार यह देखेगी की स्कूल खोलने के अनुकूल परिस्थितियां बन हैं या नहीं?
शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि स्कूल खोलने के संबंध में अभी किसी तरह की तिथि तय नहीं है. उन्होंने बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की स्टडी रिपोर्ट में साफ हो गया कि बिहार में हर्ड इम्युनिटी में जबरदस्त इजाफा हुआ है. इस संबंध में हाल में आयी दूसरी रिपोर्ट भी बताती हैं कि कोरोना से अब तक बच्चे काफी हद तक सुरक्षित हैं.
इसके बाद भी तीसरी लहर की तमाम आशंकाओं को एकदम खारिज नहीं किया जा सकता है. लिहाजा स्कूल खोलने को लेकर अभी हमें इंतजार करना चाहिए. शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जा सकता. दरअसल, कोरोना का संक्रमण बेहद अनिश्चित है. इसलिए कोई भी निर्णय बेहद सोच-समझ कर लेना होगा.
शिक्षा मंत्री ने दो टूक कहा कि वर्ष 2006-2015 के बीच नियुक्त नियोजित शिक्षकों में से जिन्होंने अपने दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड नहीं किये हैं, उनके बारें में विभाग जल्दी ही निर्णय लेगा. दरअसल, विभाग के इस संबंध में जारी पत्र में ऐसे शिक्षकों के बारे में जरूरी बातें कही गयी हैं. उसी के हिसाब से विभाग निर्णय लेगा. इसी तरह उन्होंने बताया कि नियोजित शिक्षकों के वन टाइम तबादले को लेकर सारी तैयारी कर ली गयी है. जल्दी ही आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी.
Posted by Ashish Jha