पटना. बिहार पुलिसिया कार्रवाई से ‘दंगा’ शब्द को बदलवाने की पहल करेगा. इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने एक प्रस्ताव तैयार किया है. इस पर गृह विभाग की सहमति मिल गयी है. अब इससे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जायेगा.
गृह विभाग के सचिव स्तर के अधिकारी ने बताया कि ‘दंगा’ शब्द का प्रयोग होने से सबसे पहले मन में सांप्रदायिक तनाव या कोई हिंसात्मक घटना की बात आती है, जबकि पुलिसिया कार्रवाई में पांच लोग या उससे अधिक के बीच किसी भी तरह की हिंसात्मक घटना को दंगा शब्द दिया जाता है. ऐसे में भले ही सांप्रदायिक घटनाओं की संख्या नहीं के बराबर होती है, पर वार्षिक आंकड़ों में दंगा वाली घटनाएं अधिक दर्ज हो जाती हैं.
पुलिस मुख्यालय की ओर से बताया गया कि राज्य के 240 थानाें, ओपी में से 109 में लैंडलाइन फोन लगाया गया है, जबकि अन्य थानों में लैंडलाइन फोन के विकल्प तलाशने का निर्देश दिया गया है. पुलिस मुख्यालय को एक प्लान बना कर प्रत्येक थाना और क्षेत्रीय कार्यालय के लिए फोन शुल्क के मासिक शुल्क निर्धारित करने के निर्देश दिये गये हैं. गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिया है कि सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क शुरू करने की कार्रवाई की जाये. इसके अलावा राष्ट्रीय मानक के अनुसार थानों में मानक स्थापित करने की कार्रवाई की जाये.
गृह विभाग ने निर्देश दिया है कि सभी एसडीओ व एसडीपीओ भूमि विवाद को सुलझाने के लिए बैठक करें. बैठक में दायर सीआरपीसी कही धारा-144 आदि की रिपोर्ट मासिक तौर पर भेजी जाये. इसके अलावा कब्रिस्तान की घेराबंदी को लेकर सभी जिलों में निर्धारित समय में योजनाएं पूरी करने और जिलों से नये आवंटन लेने के निर्देश दिये गये. इसके अलावा बिहार मंदिर चहारदीवारी योजना के तहत ऑनलाइन पोर्टल लांच कर सभी जिलों में प्रशिक्षण का कार्यक्रम निर्धारित किया जाये. सभी जिलों बचे हुए मंदिरों की चहारदीवारी की निर्माण के लिए योजनाएं आमंत्रित की जाएं.
राज्य में अब भी 97 थाने और 47 ओपी भूमिहीन हैं. गृह विभाग की बैठक में इसकी समीक्षा की गयी है. समीक्षा में कहा गया है कि उपरोक्त भूमिहीन थानों व ओपी में से 34 थानों और नौ ओपी का प्रस्ताव एनओसी के लिए दिया गया है. 43 अनापत्ति, 53 लीज व भू-अर्जन और 17 जगहों पर थाना व ओपी निर्माण के लिए सरकारी भूमि चिह्नित की गयी है.
53 जगहों पर लीज के लिए एक करोड़ से कम लागत के लिए प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई के निर्देश दिये गये हैं. गौरतलब है कि राज्य में 1096 थाने और 264 ओपी हैं. वहीं, थानों में बनने वाले 660 आगंतुक कक्ष के विरुद्ध अब तक सिर्फ 34 जगहों पर निर्माण किया गया है.
Posted by Ashish Jha