Jharkhand News (जमशेदपुर) : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश के विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई है. अगर यह गलत है, तो झारखंड सरकार अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करे कि आखिर उसने क्या रिपोर्ट भेजी है. महज प्रेस रिलीज जारी कर केंद्र सरकार पर गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने की बात कहना सही मायने में खुद गैर जिम्मेदाराना व्यवहार अख्तियार करने जैसा है.
पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने को लेकर हैरानी जतायी. उन्होंने याद दिलाया कि महाराष्ट्र में गैर भाजपा की सरकार है. वहां के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का मीडिया में बयान सुर्खियों में है. वे कह रहे हैं कि हमने कभी नहीं कहा कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है.
दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री ने अपने प्रेस रिलीज में केंद्र सरकार के इस बयान को गैर जिम्मेदाराना माना है जिसमें कहा गया है कि देश में ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई. बन्ना गुप्ता की प्रेस रिलीज में कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर में देश में ऑक्सीजन की कमी से मौत इसलिए हुई, क्योंकि सरकार ने ऑक्सीजन निर्यात 700 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था और ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करनेवाले टैंकरों की व्यवस्था नहीं की. इसके अलावा अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने में कोई सक्रियता भी नहीं दिखायी.
कुणाल षाड़ंगी ने पलटवार कर स्वास्थ्य मंत्री से पूछा है कि बतौर स्वास्थ्य मंत्री आपने अपने राज्य झारखंड में क्या किया. जब पीएम केयर के मिले पैसों से भी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगवा सके या ऑक्सीजन सप्लाई का बेहतर प्रबंधन नहीं करवा सके, वो भी तब जब राज्य में इतनी ऑक्सीजन थी कि यहां के ऑक्सीजन प्लांट की मदद से टैंकर दूसरे राज्यों के लिए रवाना किए जा रहे थे जिसको खुद स्वास्थ्य मंत्री ने भी हरी झंडी दिखाये थे.
उन्होंने कहा कि बेहतर हो दोषारोपण की जगह खुद झारखंड के संबंध में रिपोर्ट सार्वजनिक करें कि यहां ऑक्सीजन को लेकर क्या हालात रहे और मौत हुई थी या नहीं. झारखंड में ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है, तो सबसे पहली जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग की है. कोरोना काल में जमशेदपुर में दो-दो अस्पताल बंद हुए.
अगर टीएमएच नहीं होता, तो जमशेदपुर की स्थिति इतनी और भयावह होती की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है. मंत्रियों और उच्च जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों के लिए एयर एबुंलेंस की व्यवस्था से एतराज नहीं, लेकिन ब्लैक फंगस मरीजों के लिए सरकारी अस्पताल में व्यवस्था और गर्भवती महिलाओं के लिए एक स्ट्रेचर तक की व्यवस्था नहीं कर पाने वाली सरकार को केंद्र सरकार पर दोषारोपण करना शोभा नहीं देता.
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Posted By : Samir Ranjan.