Newborn Baby Healthcare, Monsoon Health Tips In Hindi: बारिश का मौसम सुहावना तो लगता है, लेकिन अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है. इस समय नवजात शिशु का खास ख्याल रखना जरूरी है. चूंकि, बच्चों की त्वचा बहुत पतली, नाजुक और संवेदनशील होती है. जानें नवजात शिशु की त्वचा संबंधी समस्याओं से बचने के उपाय.
इस समय साबुन, शैंपू, डिटर्जेंट, तेल, पाउडर और कपड़ों में मौजूद रसायन बच्चों की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. खुशबूदार बेबी प्रोडक्ट्स भी बच्चों की त्वचा के लिए अच्छे नहीं होते हैं. त्वचा में जलन और रैशेज की समस्या हो सकती हैं.
बरसात में मच्छरों की संख्या काफी बढ़ जाती है. मच्छर के काटने पर नवजात शिशु को बहुत तेज दर्द होता है और उसकी त्वचा पर लाल निशान या सूजन भी हो सकती है. इससे बचने के लिए शिशु को मॉस्किटो नेट के अंदर रखें. शिशु के कमरे के खिड़की-दरवाजे बंद रखें, ताकि मच्छर अंदर न आ सकें. खासकर, शाम के समय शिशु को घर से बाहर न लेकर जाएं. अगर घर से बाहर निकलना जरूरी है, तो बच्चे को पूरी बाजू के कपड़े जरूर पहनाएं.
नवजात शिशु को जन्म के पहले महीने में सप्ताह में 3-4 बार स्पंज बाथ देना चाहिए. दूध पिलाने के बाद मुंह को स्पंज से साफ करें और डायपर बदलने के बाद भी स्पंज से अच्छी तरह साफ करें. दूसरे महीने से जब बच्चे को नहलाना शुरू करें, तो गुनगुने पानी से नहलाएं. हमेशा एंटी बैक्टीरियल सोप का इस्तेमाल न करें, ये आपके बच्चे की संवेदनशील त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. नहलाने के बाद कॉटन के मुलायम टॉवल से धीरे-धीरे पोंछे, ताकि त्वचा को नुकसान न पहुंचे.
नवजात शिशु का शरीर बहुत नाजुक होता है, इसलिए मसाज की सही तकनीक का इस्तेमाल करें. स्वस्थ बच्चे के लिए मसाज की सामान्य विधि का उपयोग करना ही बेहतर होगा, जिसे मां या परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा घर पर किया जा सकता है. बच्चों की त्वचा संवेदनशील होती है, इसलिए ऐसे तेल से बचें, जिसमें रसायनों का प्रयोग किया गया हो. सूरजमुखी और बादाम का तेल नवजात शिशुओं की त्वचा के लिए अच्छा रहता है. बच्चे को मोटे टॉवल पर लेटाकर मसाज करें.
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बच्चे के लिए नैपीज का चयन समझदारी से करें. इस बात का ध्यान रखें कि वह सही फिटिंग की हो. उसमें सोखने की क्षमता बेहतर हो. कॉटन और लिनन की नैपीज सबसे अच्छी रहती हैं. ये फैब्रिक नमी को अवशोषित करती हैं. इन कपड़ों से त्वचा में रिएक्शन नहीं होता है. नैपीज को 3 से 4 घंटे में बदल देना चाहिए. अधिकतम 6 घंटे में इसे चेंज कर देना चाहिए. इन्हें जितनी जल्दी बदलेंगे, संक्रमण का खतरा उतना कम होगा.
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छोटे बच्चों के लिए कपड़े खरीदते समय सिर्फ यह नहीं देखें कि उन्हें पहनकर बच्चा कितना आकर्षक लगेगा. हमेशा आरामदायक कपड़े लें, जिनको धोना भी आसान हो. फैब्रिक से बच्चे की त्वचा को कोई नुकसान न पहुंचे. बच्चों के लिए कॉटन सबसे अच्छा रहता है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि कॉटन के कपड़े थोड़े से सिकुड़ जाते हैं. ऊपरी और निचले भाग के लिए अलग-अलग कपड़े खरीदने से बेहतर है कि वन पीस खरीदें. ध्यान रखें कि पजामे में टाइट रबर या इलास्टिक न लगा हो.
Posted By: Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.