20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बंगाल में कानून का शासन नहीं, शासक का कानून, चुनाव के बाद हिंसा पर NHRC की रिपोर्ट

West Bengal News| Post Poll Violence in Bengal| Mamata Banerjee| NHRC| Calcutta High Court| : पश्चिम बंगाल में कानून का शासन नहीं है. यहां शासक का कानून है. बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने अपनी रिपोर्ट कलकत्ता हाइकोर्ट की पांच जजों की बेंच को सौंप दी है. इसमें पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन करने के साथ-साथ सीबीआई (CBI) जांच की सिफारिश भी की गयी है.

कोलकाताः पश्चिम बंगाल में कानून का शासन नहीं है. यहां शासक का कानून है. बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की रिपोर्ट में यह बात कही गयी है. एनएचआरसी की टीम ने कलकत्ता हाइकोर्ट की पांच जजों की वृहद बेंच को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की है.

इतना ही नहीं, मानवाधिकार आयोग की टीम ने कहा है कि कोर्ट की निगरानी में चुनाव बाद हिंसा की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाये. साथ ही पूरे मामले की सुनवाई बंगाल के बाहर कराये जाने की सिफारिश टीम ने की है. कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच के लिए एक टीम बनायी थी.

इस टीम ने पश्चिम बंगाल के अलग-अलग जिलों में जाकर पीड़ितों से मुलाकात की. वहां के हालात का जायजा लिया. पीड़ित परिवारों से बातचीत की और उसके बाद अपनी रिपोर्ट हाइकोर्ट को सौंपी है. दक्षिण कोलकाता के जादवपुर में जांच के दौरान न केवल मानवाधिकार आयोग की टीम को काम करने से रोका गया, बल्कि उन पर हमला भी किया गया.

Also Read: बंगाल में चुनाव बाद हिंसा: NHRC ने कलकत्ता हाइकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट, ममता बनर्जी सरकार पर लगाये गंभीर आरोप

जांच दल में शामिल राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने कहा था कि दक्षिण कोलकाता के जादवपुर में उनकी टीम पर जब हमला हुआ, तो स्थानीय पुलिस उनकी मदद के लिए आगे नहीं आयी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम लोगों के साथ पुलिस का कैसा व्यवहार होता होगा.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हाइकोर्ट में जो अपनी रिपोर्ट सौंपी है, उसमें कहा है कि सत्ताधारी दल के लोगों ने विपक्षी पार्टी के सदस्यों को निशाना बनाया. सरकार और प्रशासन ने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाये. सरकार की उदासीनता के चलते ही बड़े पैमाने पर बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा हुई.

Also Read: ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ेंगी, बंगाल हिंसा पर मानवाधिकार आयोग ने हाइकोर्ट में सौंपी रिपोर्ट
सत्ताधारी दल के डर से हजारों लोगों ने किया पलायन

रिपोर्ट में इसे बदले की कार्रवाई करार दिया गया है. मानवाधिकार आयोग की टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के खौफ से हजारों लोगों को पलायन करना पड़ा. उन्हें अन्य राज्यों में शरण लेनी पड़ी. उनका जीवन खतरे में पड़ गया. उनकी आजीविका खत्म हो गयी. आज भी लोग अपने घर लौटने से डर रहे हैं.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तमाम बड़े नेता आरोप लगाते रहे हैं कि चुनाव के बाद बंगाल में हुई हिंसा में भगवा दल के कम से कम 30 कार्यकर्ताओं को तृणमूल समर्थकों ने मौत के घाट उतार दिया है. लेकिन, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इससे इनकार करती हैं. कहती हैं कि बंगाल में शांति है. भाजपा प्रदेश को बदनाम कर रही है.

Also Read: ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को तगड़ा झटका, कलकत्ता हाइकोर्ट का चुनाव बाद हिंसा पर जारी आदेश वापस लेने से इनकार

यह और बात है कि तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने खुद कई मौकों पर माना है कि चुनावी हिंसा में बंगाल में 16 लोगों की मौत हुई है. इसके लिए वह चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराती हैं. कहती हैं कि चुनाव आयोग के शासन में ये हत्याएं हुईं. तृणमूल के सत्ता संभालने के बाद कोई हिंसा नहीं हुई. हिंसा में कई तृणमूल कार्यकर्ता मारे गये.

Posted By: Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें