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शरद पवार को राष्ट्रपति बनाने के लिए लामबंदी कर रहे प्रशांत किशोर? राहुल से मुलाकात के बाद लगाए जा रहे कयास

इसके पहले इस साल की मई में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रशांत किशोर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से करीब तीन बार मुलाकात कर चुके हैं. बता दें कि 24 जुलाई 2022 को देश के वर्तमान 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल पूरा होने वाला है और इसके पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं.

नई दिल्ली : देश के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के साथ मुलाकात की. उनकी इस मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में कयास यह लगाए जा रहे हैं कि प्रशांत किशोर कहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सुप्रीमो शरद पवार को देश में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनाने के लिए लामबंदी तो नहीं कर रहे हैं. माना यह जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए पूरे विपक्ष को साधने में अभी ही से जुट गए हैं.

हालांकि, इसके पहले इस साल की मई में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रशांत किशोर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से करीब तीन बार मुलाकात कर चुके हैं. बता दें कि 24 जुलाई 2022 को देश के वर्तमान 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल पूरा होने वाला है और इसके पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं.

इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, इस राहुल गांधी से बैठक के बाद कयास यह लगाए जा रहे हैं कि प्रशांत किशोर अगले विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को भाजपा के खिलाफ एकजुट करने की मुहिम में अभी ही से जुट गए हैं.

हालांकि, इन अटकलों के बीच प्रशांत किशोर पहले ही यह बात कह चुके हैं कि वे इस बात पर भरोसा नहीं करते कि तीसरा और चौथा मोर्चा 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती दे सकेंगे. लेकिन, राहुल और प्रियंका गांधी के साथ हुई मुलाकात के बाद सूत्रों का कहना है कि राहुल-प्रियंका के साथ मिलकर वे नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा को विपक्ष की ओर से नए तरीके से चुनौती देने की रणनीति बना रहे हैं, जो असर अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर केंद्रित होगा.

सूत्र बताते हैं कि प्रशांत किशोर की रणनीति के अनुसार, अगर विपक्ष एकजुट हो जाता है, इलेक्टोरल कॉलेज के मामले सरकार के मुकाबले वह मजबूत होगा. इसके साथ ही, अगर विपक्षी पार्टियों के साथ बीजू जनता दल के नवीन पटनायक साथ आ जाते हैं, उनका यह रास्ता और भी आसान हो जाएगा.

इसका कारण यह है कि महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों में फिलहाल विपक्षी पार्टियों की सरकार है. ऐसी स्थिति में इन राज्यों से विपक्ष को बड़ी संख्या हासिल हो सकती है. केवल ओड़िशा को लेकर ही उनके मन संशय बना हुआ है, जहां के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पूरी तरह से विपक्ष के साथ खड़े दिखाई नहीं देते.

वहीं, चर्चा यह भी है कि प्रशांत किशोर के रिश्ते ममता बनर्जी, शरद पवार, जगन रेड्डी, अरविंद केजरीवाल, एमके स्टालिन और उद्धव ठाकरे समेत देश के कई बड़े नेताओं के साथ अच्छे हैं. ऐसे में अगर वे विपक्ष को भाजपा और मोदी सरकार के मुकाबले मजबूती के साथ खड़ा करना चाहते हैं, तो उन्हें कांग्रेस को साथ लाना बेहद जरूरी है और वैसी स्थिति में तो यह और भी जरूरी हो जाती है, जब शरद पवार को अगले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनाया जाना हो. मंगलवार को प्रशांत किशोर की राहुल और प्रियंका के साथ हुई मुलाकात को भी इसी कड़ी के साथ जोड़कर देखा जा रहा है.

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Posted by : Vishwat Sen

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