राज्य के 1215 सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई होगी. एक-दो दिनों में स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित करने के लिए निविदा की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. टेंडर जेम पोर्टल के माध्यम से निकाला जायेगा. झारखंड शिक्षा परियोजना ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. गौरतलब है कि ‘राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान’ के तहत राज्य के सरकारी हाइस्कूलों व प्लस टू स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई की योजना शुरू की गयी थी. अभियान के बंद होने के बाद इसे ‘समग्र शिक्षा अभियान’ के तहत संचालित किया जा रहा है. इसके तहत एक स्कूल को कंप्यूटर लैब स्थापित करने के लिए 6.40 लाख रुपये दिये जाते हैं. योजना के तहत 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार और 40 फीसदी राशि राज्य सरकार देती है.
भारत सरकार देती है 60 फीसदी राशि : झारखंड शिक्षा परियोजना ने पिछल वर्ष ही राज्य के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन, केंद्र सरकार ने इसे नामंजूर करते हुए कंप्यूटर लैब स्थापित करने के लिए टेंडर की प्रक्रिया जेम पोर्टल के जरिये करने को कहा. इसके बाद झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा फिर इसकी प्रक्रिया शुरू की गयी है.
2189 स्कूलों में मिली सहमति, 974 में ही बने कंप्यूटर लैब : राज्य के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई की योजना वर्ष 2014-15 में शुरू हुई थी. वर्ष 2020-21 तक कुल 2189 स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई शुरू करने की सहमति दी गयी. इनमें से 974 स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित है. जबकि, 1215 स्कूलों में कंप्यूटर लैब नहीं स्थापित किया जा सका है. योजना के शुरुआती वर्ष 2014-15 में 465 स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई कराने को सहमति दी गयी थी.
इन सभी स्कूलों में दिसंबर 2016 में कंप्यूटर लैब स्थापित कर दिया गया. इसके बाद वर्ष 2017-18 के 449 स्कूलों में से 435 में और वर्ष 2018-19 के 488 स्कूलों में से 13 में कंप्यूटर लैब स्थापित किया गया. जबकि, वर्ष 2020-21 के 726 स्कूलों में से किसी में भी कंप्यूटर लैब स्थापित नहीं किया गया है.
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एक-दो दिनों में शुरू की जायेगी स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित करने के लिए निविदा की प्रक्रिया
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केंद्र सरकार ने दिया है निर्देश, जेम पोर्टल के जरिये निकाला जायेगा कंप्यूटर लैब बनाने का टेंडर
मिड डे मिल के ऑडिट के लिए जानकारी नहीं दे रहे स्कूल: मध्याह्न भोजन योजना के ऑडिट के लिए स्कूलों की ओर से जरूरी कागजात उपलब्ध नहीं कराये जा रहे हैं. जनवरी 2019 में वर्ष 2018-19 के लिए मध्याह्न भोजन योजना का अंकेक्षण कार्य शुरू हुआ था, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने इस पर नाराजगी जतायी है. उन्होंने सभी जिला शिक्षा अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि 30 दिनों के अंदर मध्याह्न भोजन योजना के ऑडिट का कार्य पूरा कराया जाये. इसके लिए स्कूलों से जरूरी कागजात ऑडिटर को उपलब्ध कराने को कहा गया है.
मध्याह्न भोजन योजना के ऑडिट को लेकर हुई बैठक में सीए द्वारा बताया गया कि स्कूलों द्वारा तय तिथि को कागजात के साथ उपस्थित नहीं होने के कारण ऑडिट पूरा नहीं हो सका. सभी जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्देश दिया गया है कि वे इस बात को सुनिश्चित करायें कि तय तिथि को स्कूल जरूरी कागजात उपलब्ध करायें. जिन स्कूलों के द्वारा अंकेक्षण कार्य में सहयोग नहीं किया जायेगा, तो इसके लिए दोषी लोगों पर प्रावधान के अनुरूप कार्रवाई करने को कहा गया है.
Posted by: Pritish Sahay