नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तथाकथित तौर पर नकली रेडमडिसिवर रखने के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति को दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को जमानत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि आरोपी ने कोरोना की गंभीर स्थिति के दौरान उन मरीजों की जिंदगी से खेलने का प्रयास किया, जिन्हें इस दवा की तत्काल जरूरत थी.
बता दें कि पिछले 30 अप्रैल को छापेमारी के दौरान जिस कार में आरोपी कार्तिक गर्ग सफर कर रहा था, उसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन की सात शीशियां बरामद की गई थीं. बाद में कार्तिक की कार से बरामद इंजेक्शन नकली निकले. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंदर बेदी ने गर्ग को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि अपराध गंभीर प्रकृति के हैं और इसके लिए कड़ी सजा दी जानी चाहिए.
न्यायाधीश ने कहा कि जिन अपराधों के आरोप याचिकाकर्ता पर लगाये गए हैं, वे गंभीर प्रकृति के हैं, जहां आरोपी ने कठिन समय में उन रोगियों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया, जिन्हें तत्काल इस दवा की जरूरत थी. इसके अलावा, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी द्वारा किए गए अपराध न केवल भारतीय दंड संहिता या महामारी अधिनियम के तहत दंड के दायरे में आते हैं, बल्कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत भी दंडनीय हैं.
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फिलहाल, आरोपी भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 188 (लोक सेवक द्वारा आदेश की अवज्ञा), और 34 (समान मंशा) और आवश्यक वस्तु अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपों का सामना कर रहा है. कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिविर की महामारी की दूसरी लहर के दौरान मांग अधिक थी.