पटना. कोरोना की दूसरी लहर में कई ऐसी दवाएं थीं, जिन्हें खरीदने के लिए बाजार में मारामारी मची हुई थी. वहीं अब संक्रमण के कमजोर पड़ने पर कोई इन्हें पूछ नहीं रहा है. जिस रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए लोगों को कई-कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा था, अब वह दुकानों में पड़े-पड़े खराब हो रहे हैं.
रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिस्ट्रीब्यूशनशिप शहर के कुछ दुकानदारों को ही मिली थी. एक दुकानदार ने बताया कि करीब तीन लाख रुपये के केवल रेमडेसिविर इंजेक्शन डंप हैं. उन्होंने बताया कि कंपनी भी ऑर्डर लेते समय ही मुहर लगवा लेती है कि माल वापस नहीं होगा, जबकि दूसरे कई इंजेक्शन कंपनी वापस लेती है.
शहर के दुकानों में करीब 40 लाख रुपये के रेमडेसिविर इंजेक्शन डंप हो गये हैं. इसके अलावा कोरोना में चलायी जा रही फैबीपीराविर, आइवरमेक्टिन, एजिथ्रोमाइसिन, विटामिन सी, मल्टी विटामिन, जिंक, डॉक्सीसाइक्लिन जैसी अन्य दवाएं भी डंप होने लगी हैं. राजेश आर्या ने बताया कि केवल जीएम रोड स्थित दवा मंडी में दवाओं का करीब 10 करोड़ रुपये का स्टॉक डंप हो रहा है.
कोरोना काल में लोगों की जान बचाने वाले नेबुलाइजर, थर्मामीटर, पीपीइ किट, पल्स ऑक्सीमीटर जैसे मेडिकल उपकरण का स्टॉक डंप होने से अब व्यापारियों की धड़कन बढ़ गयी है.
सर्जिकल आइटम व उपकरण बेचने वाले शहर के कारोबारियों के अनुसार करीब 12 करोड़ रुपये के केवल उपकरण डंप हैं. उपकरणों की कमी को देखते हुए कंपनियों ने ज्यादा मात्रा में उत्पादन कर मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति कर दी. अब संक्रमण के कमजोर पड़ते ही इनकी मांग भी कम पड़ गयी है.
Posted by Ashish Jha