Jharkhand News (संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग) : झारखंड के हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड में भी अब परवल (पटल) की खेती होने लगी है. इसका श्रेय पर्यावरण प्रेमी प्रवीण कुमार मेहता को जाता है. पहले परवल (पटल) की खेती हजारीबाग जिले के अधिकांश प्रखंडों में नहीं हुआ करता था. सब्जी के रूप में व्यापारियों द्वारा पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, बिहार समेत अन्य राज्य एवं जिलों से खरीदा जाता था. इस कारण परवल का बाजारों में ऊंची कीमत पर बिक्री होती थी. लेकिन, इधर कुछ समय से यहां के किसानों को भी परवल की खेती की ओर प्रोत्साहित किया गया और अब परवल की खेती से यहां के किसान भी समृद्ध होने लगे हैं.
पर्यावरण प्रेमी प्रवीण कुमार मेहता 3 साल पहले परवल की खेती करना शुरू किया और आज हर सप्ताह अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं. प्रवीण कुमार मेहता की शैक्षणिक योग्यता बीकॉम है, लेकिन खेती-बारी एवं पेड़- पौधे से इनका बचपन से ही लगाव रहा है. यही कारण की खेती एवं पेड़- पौधों के बारे में आज विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं. इनसे छोटे -बड़े किसान खेती करने के लिए सलाह भी लेते हैं.
प्रवीण कुमार अपने घर के बगल में 8 कट्ठा जमीन में पटल की सब्जी लगाये हुए हैं. उन्होंने बताया कि मार्च से लेकर सितंबर तक पटल (परवल) फलता है. 8 महीने तक यह सब्जी मुनाफा देता है. कहा कि हर सप्ताह लगभग 70 किलो का पैदावार होता है. इसे 35 रुपये प्रति किलो थोक बाजार में भेजते हैं, जबकि बाजारों में 40 एवं 50 प्रति किलो क्रय- विक्रय होता है.
एक सप्ताह में अगर यह 70 किलो पटल की बिक्री करते हैं, तो इनको मुनाफा 2,450 रुपये होती है. पटल की खेती करने से इन्हें काफी मुनाफा हो रहा है. उन्होंने कहा कि बड़कागांव का जमीन पटल की खेती के लिए उपयुक्त है.
इनका कहना है कि पटल की खेती को एक बार लगाने से 3 साल तक फल देता रहता है. इसे सितंबर महीने में लगाया जाता है. पौधा लगाने के बाद फरवरी तक सुसस्तावस्था में चला जाता है. मार्च से फल देना शुरू करता है. प्रवीण कुमार मेहता को प्रखंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक कई बार कृषि क्षेत्र में पुरस्कार मिल भी चुका है.
चिकित्सा प्रभारी डॉ बीएन प्रसाद के अनुसार, कोरोना काल में पटल की सब्जी रामबाण साबित हुई है क्योंकि पटल में विटामिन-सी पाया जाता है. यह इम्यूनिटी की क्षमता को मजबूत करता है.
Posted By : Samir Ranjan.