राज्यभर में मॉनसून सक्रिय है और उत्तर बिहार में बाढ़ का पानी कई जगहों पर अब घुस गया है. इस कारण से आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलों में तैनात अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मुखिया व गांव के लोगों के माध्यम से रात भर तटबंधों पर निगरानी करें. साथ ही, हर दिन की रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड करें, ताकि अचानक से बाढ़ का पानी किसी गांव में नहीं घुस पाये. निगरानी के दौरान जिला प्रशासन के अलावा अन्य विभाग के अधिकारी,जिन्हें बाढ़ को देखते हुए जिलों में तैनात किया गया है. उनके वाट्सएप ग्रुप पर पल-पल की जानकारी मिल सके.
बाढ़ से प्रभावित होने वाले सभी 28 जिलों के डीएम को अलर्ट किया गया है. जिन 12 जिलों के लोग बाढ़ से प्रभावित हो गये हैं, वहां राहत-बचाव के साथ तटबंधों व जमींदारी बांधों की निगरानी में मुखिया को भी जोड़ा गया है, जो गांव वालों के साथ मिल कर तटबंधों की सुरक्षा पर नजर रखेंगे. कहीं से कोई भी सूचना मिलती है, तो इसकी जानकारी तुरंत आपदा कंट्रोल रूम व जिलाधिकारी को देंगे.
जिन जिलों में संवेदनशील तटबंध हैं. वहां खाली बोरा, लोहे की जाली, बोल्डर आदि की व्यवस्था की गयी है, ताकि किसी भी दुर्घटना के दौरान तुरंत उसपर काबू पाया जा सके. बाढ़ से प्रभावित 12 जिलों के तटबंधों पर सभी अधिकारियों की डयूटी रात-दिन लगायी गयी है.
पटना,सीतामढ़ी, शिवहर , सुपौल, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गोपालगंज,पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, खगड़िया, सारण, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी व सीवान में अधिक निगरानी हो रही है.
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– जिन जिलों में बाढ़ का प्रकोप अधिक हो, तो राहत कार्य को बढ़ाया जाये और साथ ही किसी भी जरूरत के लिए तुरंत मांग की जाये.
– ग्रामीण क्षेत्रों में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की पेट्रोलिंग बढ़ायी जाये और निजी नाव का भी सहारा लिया जाये.
– जिला, अंचल एवं पंचायत स्तर पर बाढ़ राहत कार्य के लिये नोडल पदाधिकारी नामित कर उनका नाम, पता, दूरभाष, मोबाइल नंबर एवं फैक्स नंबर आदि जिला आपातकालीन संचालन केंद्र , जिला नियंत्रण कक्ष में रखी जाये.
Posted By: Thakur Shaktilochan