हर पीढ़ी की अपनी एक कहानी होती है. जमाना भी तेजी से बदल रहा है. बुद्धू बक्सा कहा जाने वाला टीवी अब स्मार्ट टीवी बन चुका है. लैंडलाइन फोन की जगह मोबाइल आ गया था और अब हर किसी के हाथों में स्मार्टफोन है. डायल करने वाला टेलीफोन और उसकी कर्कश घंटी अब स्मार्टफोन की सुरीली धुनों में कहीं खो गयी है. क्लास रूम अब स्मार्ट हो गये हैं. बढ़ती तकनीक व कनेक्टिविटी से लोगों के दैनिक जीवन से जुड़ी समस्याएं दूर होने लगी हैं. इलाज, शिक्षा, शोध, व्यापार व रहन-सहन आसान हो रहा है. पिछले 25 सालों में तकनीक व डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में कितना बदला है पटना, ‘काउंटडाउन 10’ की इस कड़ी पढ़िए सुबोध कुमार नंदन की रिपोर्ट.
पिछले 25 सालों में तकनीक, कनेक्टिविटी व दूर संचार के मामले में पटना में काफी कुछ बदल गया है. पहले शहर के चुनिंदा लोगों के पास लैंडलाइन टेलीफोन थे. धीरे-धीरे टेलीफोन मध्यवर्ग के पास आना शुरू हो गया. इस बीच लोगों के बीच पीसीओ खुलने लगे, जहां आम आदमी पैसे देकर अपनों से टेलीफोन से बात करने की परंपरा शुरू हुई.
इस बीच पेजर भी आया. इसी दौरान फैक्स ने कामकाज को आसान बनाया. फैक्स के जरिये मिनटों में एक स्थान से दूसरे स्थान कागजात भेजने का मुख्य साधन बना. सरकारी कार्यालयों से लेकर गैर सरकारी कार्यालयों में इसका प्रयोग बड़े स्तर पर हुआ.
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1990 में वर्ल्ड वाइड वेब यानी ‘डब्लूडब्लूडब्लू’ की हुई शुरुआत
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1990 में दुनियाभर में पर्सनल कंप्यूटर्स की संख्या 100 मिलियन थी
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1994 में भारत में प्रति 100 व्यक्तियों पर 0.8 फोन कनेक्शन थे
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1995 में टेलिकॉम और इसी साल 16 मार्च को पेजर सेवा की हुई थी शुरुआत
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2000 में पटना सहित देशभर में हुई बीएसएनएल की स्थापना
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2010 में पर्सनल कंप्यूटर को यूज करने वालों की संख्या हो गयी 1.4 बिलियन
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2014 में बिहार में शुरू हुआ डिजिटल युग का दूसरा फेज
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05 सालों में सूबे में काफी अधिक बढ़ा है दूरसंचार का धनत्व
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53 % लोगों के पास है पटना में है मोबाइल फोन
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2016 में दूरसंचार घनत्व 54 था , जो 2018 में बढ़कर 63 हो गया
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6.2 फीसदी है बिहार में कुल इंटरनेट के ग्राहकों की संख्या
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30314 टीबी मोबाइल डाटा प्रतिमाह खपत करते हैं बिहार के लोग
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756 टीबी है ब्रॉडबैंड व एफटीटीएच में प्रतिदिन डाटा की खपत
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21 दूरसंचार जिले बीएसएनएल के तहत हैं पूरे बिहार में
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1G से शुरू हुआ मोबाइल नेटवर्क का
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सफर अब 5G तक पहुंचने वाला है
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2007 में अस्तित्व में आया राज्य सरकार सूचना एवं प्रावैधिकी विभाग
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2007 से सरकारी विभागों को सेक-लैन (सेक्रेटेरिएट वाइड एरिया नेटवर्क) से जोड़ा गया
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2015 से हुई बिहार में डिजिटल युग के दूसरे फेज की शुरुआत
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रोबोट कर रहे इलाज : पटना एम्स में रोबोट द्वारा इलाज किया जा रहा है. हृदय शल्य चिकित्सा, जनरल सर्जरी, गले और नाक की सर्जरी, प्रोस्टेट सहित अन्य जटिल ऑपरेशन ये आसानी से कर सकते हैं.
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रोबोट से सफाई : पटना में पहली बार नगर निगम मुख्यालय में रोबोट को लॉन्च किया गया. ये एक मैनहौल को 20 मिनट में साफ करने में सक्षम है. पटना में अब मैनहोल और गटर की सफाई रोबोट से की जा रही है.
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दाखिल खारिज ऑनलाइन : डिजिटल होने के साथ ही बिहार अपने अपने कार्यक्षेत्र को अब और विस्तार देने में जुटा है. दाखिल-खारिज की प्रक्रिया को भी ऑनलाइन कर दिया है. .
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मोबाइल एप से शिकायत : लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम की विधिवत शुरुआत के अब मोबाइल पर भी जनता की शिकायत सुनी जा सकती हैं और इनका समाधान किया जा सकता है.
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कॉलेज-व विश्वविद्यालयों में वाई-फाई : राज्य के सभी विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में निश्शुल्क वाई-फाई के माध्यम से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है.
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डिजिटल ट्रांजेक्शन : बिहार में भी इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग ने तेजी पकड़ी है. आंकड़ों के अनुसार बिहार में 37,61,814 से अधिक बैंक के ग्राहक मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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पेंशन डाटा भी डिजिटाइज्ड : राज्य सरकार के निर्देश पर सूचना एवं प्रावैधिकी विभाग राज्य के सामाजिक सेवा से जुड़े पेंशनरों के साथ ही राज्य सरकार से सेवानिवृत्त कर्मचारियों के आंकड़ों का भी संधारण कर रहा है.
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आधार निबंधन : सूचना एवं प्रावैधिकी विभाग ने पहल करते हुए अपना निबंधन आधार सर्विस एजेंसी के रूप में यूआइडीएआइ से कर लिया है. जिसके बाद यह सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध हो गयी है.
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आइटी स्टार्ट-अप: आइटी प्रक्षेत्र में कार्यरत 31 स्टार्ट-अप कंपनियों को बिस्कोमान टावर की 9वीं और 13वीं मंजिल पर जगह दी गयी है. यह प्लग और प्ले की सुविधा है.
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2014 119
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2015 166
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2016 196
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2017 241
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2018 284
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2019 393
सरकारी कामकाज को आइटी से जोडने की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने पटना को आइटी हब के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना तैयार की है. हालांकि अभी इसपर काम चल रहा है. इस कड़ी में पटना शहर में एक आइटी पार्क और आइटी टावर बनाया जाना है.
सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के दौर में चीजों में डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया में व्यापक तेजी आयी है. बैंकिंग सेक्टर हो या परिवहन, भुगतान की प्रक्रिया हो या पत्र-व्यवहार की, हमारी रोजमर्रा से जुड़ी कितनी चीजें ऑनलाइन हो चुकी हैं, इन्हें अब गिनाना मुश्किल है.
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l कैमरा से सेल्फी तक : मोबाइल और स्मार्टफोन की वजह से जो चीजें खत्म हो रही हैं, उनमें से एक नाम कैमरा है. चाहे फोटो क्लिक करनी हो, वीडियो बनाना हो या फिर सेल्फी खींचनी हो. बस अपनी जेब से स्मार्टफोन निकालिए और काम हो गया.
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l डेटिंग अब ऑनलाइन : अखबारों में क्लासिफाइड के रूप में आने वाले मैट्रिमोनियल विज्ञापन तब कम होना शुरू हुए जब ऑनलाइन मैट्रिमॉनी वेबसाइट्स आयी. एक दशक में जमाना और बदला तो डेटिंग एप्स आ गये.
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l ऑरकुट नहीं इंस्टाग्राम: 2004 में गूगल ने ऑरकुट नाम की एक सोशल मीडिया सर्विस शुरू की थी. इसका उपयोग दोस्ती, चैटिंग और फोटो शेयर करने के लिए होता था. इसके बाद आया फेसबुक और फिर ट्विटर. लेकिन युवाओं की पसंद इंस्टाग्राम है.
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l एलेक्सा : एक समय ऐसा था जब लोग कैसेट, सीडी और डीवीडी पर अपने पसंदीदा गाने सुना करते थे. फिर आया आईपॉड, जिसने गाना सुनने का पूरा तरीका ही बदल दिया. इसने वॉकमैन को इतिहास बना दिया था. लेकिन अब आईपॉड भी बाजार से गायब हो रहा है और इसकी जगह ले रहा है एलेक्सा.
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l ओटीटी स्ट्रीमिंग : 90 के दशक में घर पर मनोरंजन का एकमात्र तरीका दूरदर्शन था. समय बदला तो केबल टीवी की वजह से चैनल बढ़े और जीटीवी, स्टार प्लस, सोनी टीवी ने इसका दायरा बढ़ता चला गया.
Posted by Ashish Jha