तेरी भाभी है पगले के बाद निर्माता निर्देशक विनोद तिवारी इनदिनों अपनी फिल्म कन्वर्श़न को लेकर सुर्खियों में हैं. उनकी यह फ़िल्म लव जिहाद के चर्चित और ज्वलंत मुद्दे पर हैं. उनकी इस फ़िल्म और उससे जुड़े मुद्दों पर उर्मिला कोरी की बातचीत
लव जिहाद पर फ़िल्म बनाने का ख्याल कैसे आया,कोई खास वजह?
आजकल टीवी,अखबार,सोशल मीडिया सभी पर धर्मांतरण की बात हो रही है. कन्वर्श़न फ़िल्म की कहानी जब मेरे पास राकेश त्रिपाठी और वंदना जी लेकर आए तो मुझे बहुत पसंद आयी. मुझे लगा कि ये विषय समाज की ज़रूरत है. इस पर फ़िल्म बननी ही चाहिए तो मैंने निर्देशक के तौर पर ये कहानी कही.
एक फ़िल्म मेकर के तौर पर आप इस विषय को इतना ज़रूरी क्यों मानते हैं?
अगर ये आवश्यक ना होता तो मध्यप्रदेश ,गुजरात ,उत्तरप्रदेश सरकार लव जिहाद पर कानून लागू नहीं होते थे. मैं तो कहूंगा कि पूरे हिंदुस्तान को इस कानून की ज़रूरत है
क्या आपको लगता है कि अलग अलग जाति और धर्म के लोगों के बीच शादी सही नहीं है?
मैं इस बात में यकीन नहीं करता हूं. मुझे भी लगता है कि प्यार की जाति, धर्म और कोई मजहब नहीं होता है. किसी भी जाति और धर्म में आदमी स्वतंत्र होता है प्यार करने और शादी करने के लिए लेकिन अगर शादी के पीछे साजिश है,गलत इरादे हैं तो वो गलत है. निकिता तोमर सहित कई उदाहरण हमारे सामने हैं और आए दिन ये संख्या बढ़ती जा रही है. मेरी फिल्म इसी गंदी सोच पर चोट करती है. मेरी फिल्म देखने के बाद कोई भी लड़की ये ज़रूर सोचे कि क्या वो सही लड़के से प्यार कर रही है. जो सही है तो फिर बहुत अच्छी बात है.
ऐसी भी बातें सुनने को आती हैं कि लव जिहाद का मुद्दा पिछले सात सालों में ही आया है?
ये बुराई पहले भी थी लेकिन तब ये दब जाती थी. पहले मीडिया इतना सशक्त नहीं थी. आज मीडिया इतनी सशक्त है कि गांव कस्बों की खबर भी मुंबई तक पहुंच जाती है.
फ़िल्म की कास्ट की बात की जाए तो किसी नामचीन चेहरे को आपने फ़िल्म से जोड़ने का नहीं सोचा?
मनोज जोशी,विभा छिब्बर मेरी फिल्म में हैं. वे क्या कम प्रसिद्ध हैं. सपना चौधरी का मेरी फिल्म में अपीयरेंस हैं. बिंदिया तिवारी टीवी का परिचित चेहरा है. रवि भाटिया जोधा अकबर शो में काम कर चुके हैं. मेरी कास्ट नयी नहीं है हां टीवी के हैं ये ज़रूर है.
क्या कमर्शियल पॉपुलर एक्टर फ़िल्म के विषय की वजह से इससे दूर रहें?
हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री में राष्ट्रवादी बहुत कम हैं. हिन्दू संस्कृति और देवी देवताओं के साथ पीके और तांडव जैसे प्रोजेक्ट्स में मज़ाक बना देना उनके लिए आम बात है लेकिन जब बात लव जिहाद जैसे मुद्दे की हो तो वो उससे जुड़ने से कतराते हैं. मैं बस इतना ही कह सकता हूं.
क्या सेंसर ने आपकी फ़िल्म देख ली है?
नहीं,सेंसर के लिए अभी अप्लाई करेंगे. उन्होंने कोई सीन या शब्द पर आपत्ति हुई तो हम अपना भी पक्ष रखेंगे कि भाई इस फ़िल्म का सीन देख लीजिए. इस फ़िल्म का सीन देख लीजिए. हमें भी तो अपना पक्ष रखने को मिलेगा. अगर हम सही तर्क देंगे तो उम्मीद है कि हम कोई सीन कटने नहीं देंगे. इसके साथ ही ये भी कहूंगा कि सेंसर बोर्ड सर्वोपरि है. उनका हर फैसला मान्य होगा.
फ़िल्म को लेकर विवाद के लिए कितने तैयार हैं?
मैंने ये फ़िल्म किसी राजनीतिक मकसद या विवाद को भुनाने के लिए नहीं बनायी है. मैं एक संजीदा फ़िल्म मेकर हूं और मैंने सिनेमा के मापदंडों पर इस सिनेमा का निर्माण किया है . हो सकता है कि किसी को मेरी बात समझ ना आए. अब मैं हर वर्ग को खुश नहीं कर सकता हूं तो वो संविधान के तहत अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं.
फ़िल्म को थियटर में रिलीज करेंगे या ओटीटी पर?
अगर सिनेमाघर शुरू हो गए तो ये फ़िल्म थिएटर में ही रिलीज करने की मेरी योजना है. अगर नहीं शुरू हुआ तो ओटीटी की ओर जाना पड़ेगा क्योंकि किसी भी विषय को इतनी देर तक रोकना सही नहीं है.