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प्यू रिसर्च सेंटर ने जारी की ‘भारत में धर्म : सहिष्णुता और अलगाव’ पर एक रिपोर्ट
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17 भाषाओं में 30 हजार लोगों से की गई बातचीत है के आधार पर है ये रिपोर्ट
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भारत के लोगों में धर्म के प्रति समर्पण और प्यार बहुत अधिक
Pew Survey : ‘भारत में धर्म : सहिष्णुता और अलगाव’ टॉपिक पर प्यू रिसर्च सेंटर ने एक रिपोर्ट जारी की है जिससे कई तरह की बातें सामने आईं हैं. यह रिपोर्ट 17 भाषाओं में 30 हजार लोगों से की गई बातचीत पर आधारित है. रिसर्च के दौरान ज्यादातर लोगों ने कहा कि हम अपने धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं. इससे यह बात समझने में आसानी हुई कि भारत के लोगों में धर्म के प्रति समर्पण और प्यार बहुत अधिक है.
इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है चाहे शहर हो या गांव 60 प्रतिशत लोग रोज पूजा-पाठ या प्रार्थना में कुछ ना कुछ वक्त जरूर देते हैं. रिसर्च में देश के सभी बड़े छह धार्मिक समूहों में सभी धर्मों के सम्मान की बात सामने आई है.
प्यू रिसर्च सेंटर ने ‘भारत में धर्म: सहिष्णुता और अलगाव’ शीर्षक सर्वे 2019 के अंत और 2020 की शुरुआत के बीच 17 भाषाओं में किया. इसमें लगभग 30,000 लोगों से बातचीत की गई जिसके आधार पर कई तरह की बातों का जिक्र रिसर्च में किया गया है. इससे यह बात सामने आई कि भारतीय लोग इस बात को लेकर एकमत हैं कि एक दूसरे के धर्मों का सम्मान बहुत जरूरी है.
सर्वे के अनुसार भारतीयों के बीच अन्य समुदायों के लोगों दोस्ती को लेकर अलगाव साफ नजर आता है. यही नहीं विवाहित वयस्कों में, 99% हिंदू, 97% मुस्लिम और 95% ईसाई ने अपने ही धर्म में विवाह करने का काम किया है. 67% हिंदुओं, 80% मुसलमानों और 54% कॉलेज स्नातकों का मानना हे कि अपने समुदाय की महिलाओं को दूसरे धर्म में शादी करने से रोकना बहुत जरूरी है. महिलाओं या पुरुषों द्वारा अंतर्जातीय विवाह को रोकने के लिए सभी समूह भी काफी हद तक सहमत नजर आये. हिंदुओं की तरह, 77% मुसलमान कर्म में विश्वास करते हैं.
-36% भारत के लोग ये नहीं चाहते हैं कि उनका पड़ोसी मुसलमान हो… जैन धर्म के लोगों में यह संख्या 54% है जो मुसलमान पड़ोसी नहीं चाहते हैं.
-81% भारतीयों का मानना है कि गंगा पवित्र नदी है और इसके जल में पवित्र करने की शक्ति है. जबकि ऐसा मानने वाले ईसाइयों की संख्या 33% है.
-66 % हिंदूओं का मानना हैं कि उनका धर्म इस्लाम से बिल्कुल अलग है. वहीं, 64% मुसलमानों की भी यही मान्यता है.
-77%हिंदू और लगभग इतने ही मुस्लिम कर्म के फल में विश्वास रखते हैं.
-उत्तर भारत में 12% हिंदू, 10% सिख और 37% मुस्लिम सूफीवाद में विश्वास करते हैं.
-74% मुस्लिमों ने पारिवारिक विवाद, तलाक जैसे मामलों में अपने लिए अलग धार्मिक कोर्ट की बात कही है.
-48% मुस्लिमों ने माना कि उपमहाद्वीप में विभाजन सांप्रदायिक संबंधों में तनाव के लिए अच्छी चीज नहीं है.