Hul Diwas 2021, Jharkhand News (शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला) : अंग्रेजी शासन के खिलाफ क्रांति के प्रतीक हूल दिवस पर अमर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो सहित अन्य वीर शहीदों को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं, झारखंड के मंत्री चंपई सोरेन समेत सरायकेला- खरसावां जिला के डीसी-एसपी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित किये.
इस मौके पर दिल्ली आवास में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने संताल के वीर शहीदों को याद करते हुए कहा कि 30 जून, 1855 को 30 हजार आदिवासियों के साथ इस क्रांति का आगाज झारखंड के भोगनाडीह में हुआ था. संताल की हूल क्रांति को आजादी की पहली लड़ाई मानी जाती है. संताल विद्रोह के ऐसे नायकों की शहादत हम सभी को सदैव प्रेरित करेगा.
झारखंड के मंत्री सह स्थानीय विधायक चंपई सोरेन ने हूल दिवस पर सरायकेला के सिदो-कान्हू पार्क में प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित किया. मौके पर उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आदिवासियों के विद्रोह, संघर्ष और उनके बलिदान को याद करने का विशेष दिन है हूल दिवस. इस दौरान मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि 30 जून, 1855 को सिदो-कान्हू ने अंग्रेंजो की गुलामी एवं शोषण से मुक्ति के लिए क्रांति का बिंगुल फूंका था. हूल विद्रोह जनजातीय समाज की अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के लिए प्रथम जनक्रांति थी.
उन्होंने कहा कि सिदो-कान्हू के आह्वान पर हजारों संताल आदिवासी अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में शामिल हुए तथा अपने प्राणों की आहुति दी. हूल विद्रोह ने अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी थी. वीर शहीदों की कुर्बानी को कभी भूलाया नहीं जा सकता है. इन अमर शहीदों के आदर्शों के अनुरूप झारखंड को बनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है. इस दौरान जिला प्रशासन के पदाधिकारियों के साथ- साथ सोनाराम बोदरा, अक्षय मंडल, सुधीर महतो, कृष्णा हेस्सा आदि उपस्थित थे.
हूल दिवस के अवसर पर डीसी अरवा राजकमल व पुलिस अधीक्षक आनंद प्रकाश सिदो-कान्हू पार्क में सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित किया. मौके पर डीसी अरवा राजरकमल ने कहा कि हूल दिवस अंग्रेजो के खिलाफ झारखंड के वीर सपूत एवं यहां के आदिवासी भाइयों का विद्रोह का एक प्रतीक है. उन्होंने कहा सिदो-कन्हू के साथ-साथ फूलो-झानो, चांद-भैरव समेत अन्य वीरों की शहादत से हम सभी को समाज के हित में कार्य करने की प्रेरणा मिलती है.
डीसी ने कहा हमारे वीर सपूतों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता. उनके द्वारा किये गये त्याग, अमर बलिदान को हर दिन अपने जीवन में एक हिसा बनाकर उसी से प्रेरित होकर जीवन में आगे बढ़ना है. मौके पर डीडीसी प्रवीण कुमार गागराई, आईटीडीए परियोजना निदेशक संदीप कुमार दोराईबुरु, एसडीओ राम कृष्ण कुमार, एसपीडीओ राकेश रंजन आदि उपस्थित थे.
Posted By : Samir Ranjan.