कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि देश में बच्चों पर इस वायरस के गंभीर अटैक की कोई संभावना नजर नहीं आती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन शंकाओं को निराधार बताया है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को सबसे ज्यादा संक्रमित करेगी.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक बार फिर जोर देकर कहा गया है कि बच्चों में कोरोना वायरस के मामले ज्यादार एसिम्टोमैटिक होते हैं. उन्हें अस्पताल में भरती होने की जरूरत नहीं पड़ती है. बहुत कम बच्चों को ही अस्पताल में भरती होने की जरूरत है और अस्पताल में उनके लिए पर्याप्त इंतजाम किये गये हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह कहा गया है कि अभी तक ऐसे कोई दस्तावेज ना तो देश में और ना ही विदेश में मौजूद हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सके कि आने वाली कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ेगा.
बच्चों को सुरक्षित करने के लिए 2-18 साल तक के बच्चों के लिए कोवैक्सीन टीके का परीक्षण शुरू हो गया है, अगस्त महीने तक बच्चों को भी टीका लगाने की शुरुआत कर दी जायेगी. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले भी यह कहा है कि बच्चों को टीका लगाने की कितनी जरूरत है इसपर अभी चर्चा जारी है.
मंत्रालय ने बच्चों की सुरक्षा के लिए उनके रखरखाव के लिए पहले ही डिटेल गाइडलाइन जारी किया है, जिसमें यह बताया गया है कि बच्चों को किस तरह रखना है अगर उनमें कोई भी लक्षण कोरोना वायरस के नजर आते हैं. गौरतलब है कि सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए पांच सूत्री उपाय सुझाए हैं. साथ ही राज्यों को आगाह किया है कि वे सावधानीपूर्वक पाबंदियों में छूट दें.
Posted By : Rajneesh Anand