गुमला : रायडीह प्रखंड की पीबो पंचायत में गोसाईकोना व केउंदटाड़ गांव है. यह जंगल व पहाड़ों के बीच है. गांव तक जाने के लिए पगडंडी व पहाड़ी सड़क है. आज से पांच साल पहले यह क्षेत्र नक्सलवाद से जूझ रहा था. आये दिन नक्सली घटनाएं घटती रहती थी. परंतु समय बदला तो गांव की फिजा बदलने लगी. अब नक्सलियों की आवाजाही कम हो गयी है.
नक्सलियों ने आना बंद किया तो ग्रामीण अपने गांव का विकास चाहते हैं. क्योंकि नक्सलवाद के कारण गांव का विकास रुका हुआ है. अब लोग चाहते हैं. गांव की सड़क बने. जमगई से लेकर गांव तक तीन किमी कच्ची व पहाड़ी सड़क का निर्माण हो. गांव में पीने के लिए शुद्ध पानी मिले. हर घर पक्का हो. गांव में मनरेगा का काम हो. ताकि गांव में ही लोगों को रोजगार मिल सके. ग्रामीण कहते हैं. सुविधा के नाम पर सिर्फ बिजली है. वह भी आजादी के 74 साल बाद दो माह पहले बिजली गांव पहुंची है.
गोसाईकोना में 26 व केउंदटाड़ में 16 परिवार है. दोनों गांव सटा हुआ है. परंतु यहां पीने का शुद्ध पानी नहीं है. गोसाईकोना गांव के लोग खेत में स्थित डाड़ी कुआं का पानी पीते हैं. बरसात में पानी लबालब रहता है. गर्मी में डाड़ी कुआं का जलस्तर कम हो जाता है. ग्रामीणों ने यहां सोलर जलमीनार लगाने की मांग की है. जिससे लोगों को शुद्ध पानी मिल सके. यहां डायरिया फैलने का डर बना रहता है.
गांव तक जाने के लिए पगडंडी सड़क है. कई जगह पहाड़ी सड़क है. सड़क पर जगह-जगह नाला भी है. जहां पहाड़ का पानी बहता रहता है. दिन के उजाले में लोग किसी प्रकार सफर करते हैं. परंतु रात में इस सड़क से सफर करना खतरनाक है. गिर कर घायल होने का डर है. चार पहिया गाड़ी बड़ी मुश्किल से गांव तक जाती है.
26 परिवार डाड़ी कुआं का पानी पीते हैं
गांव तक जाने के लिए पगडंडी सहारा
गांव का नाम :
गोसाईकोना व केउंदटाड़
पंचायत: पीबो पंचायत
ब्लॉक : रायडीह प्रखंड
गांव में घर : 43 परिवार है
आबादी : 300 जनसंख्या
पेयजल : दूषित पानी पीते हैं
सड़क :
पगडंडी व पहाड़ी रास्ता है
घर : कच्ची मिट्टी के घर हैं
शौचालय :
बना, परंतु पानी के अभाव में उपयोग नहीं
Posted By : Sameer Oraon