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लोक आस्था का केंद्र बना टिको शिव मंदिर, प्रखंड की जीमा व टाटी पंचायत के सीमा पर स्थापित है यह मंदिर

रुद्राभिषेक से लेकर शिव पुराण व भगवान शिव को खुश करने के लिए तरह-तरह के पूजन करते हैं. शिव दरबार में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की पुकार कभी खाली नहीं गयी है. बताया जाता है कि केसरे हिंद पर बहने वाली टिको नदी के तट पर शिव मंदिर का निर्माण गंगाधर पाठक व अन्य द्वारा 10 दशक पहले किया गया था. पुरोहित को रात में एक सपना आया था कि शिवलिंग में दुग्धाभिषेक करें. पुरोहित गंगाधर पाठक सुबह जब टिको नदी तट पर पहुंचे, तो उन्हें एक शिवलिंग नजर आया था.

लोहरदगा : प्रखंड की जीमा व टाटी पंचायत के सीमा पर स्थापित टिको शिव मंदिर लोक आस्था व दरबार में हाजिरी लगाने वालों की फरियाद पूरी करने को लेकर प्रसिद्ध हो गया है. देश के पांच शिवलिंगों में शुमार टिको नदी तट पर स्थापित शिवमंदिर में उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तथा मुंबई के श्रद्धालु पुरोहित के साथ टिको मंदिर पहुंचते हैं.

रुद्राभिषेक से लेकर शिव पुराण व भगवान शिव को खुश करने के लिए तरह-तरह के पूजन करते हैं. शिव दरबार में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की पुकार कभी खाली नहीं गयी है. बताया जाता है कि केसरे हिंद पर बहने वाली टिको नदी के तट पर शिव मंदिर का निर्माण गंगाधर पाठक व अन्य द्वारा 10 दशक पहले किया गया था. पुरोहित को रात में एक सपना आया था कि शिवलिंग में दुग्धाभिषेक करें. पुरोहित गंगाधर पाठक सुबह जब टिको नदी तट पर पहुंचे, तो उन्हें एक शिवलिंग नजर आया था.

साल 1920 में पुरोहित गंगाधर पाठक ने शिवलिंग की पूजा शुरू की. इसके बाद श्रद्धालु पहुंचने शुरू हो गये थे. इसके बाद मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई. खपरैल मंदिर का निर्माण कराया गया. टिको नदी तट पर स्थित शिव मंदिर की ख्याति फैल गयी कि श्मशान घाट के तट पर स्थित शिव मंदिर में मन्नतें पूरी होती है. इसके बाद ग्रामीणों के आपसी सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया. श्मशान घाट के तट पर स्थित होने के कारण बानारस से पुरोहित पहुंचने लगे तथा शिवजी को खुश करने व मन्नतें पूरी करने के लिए रुद्राभिषेक से लेकर अन्य कार्य होने लगे.

बताया जाता है कि शिव दरबार में मत्था टेकने वालों की मन्नतें कभी खाली नहीं गयी है. टिको शिव मंदिर परिसर में हाल के दिनों में शादी-विवाह का आयोजन लगातार जारी है. प्रत्येक साल चार दर्जन शादी टिको शिव मंदिर में होती है. व्यस्था के अभाव होने से शिव मंदिर की महिमा नहीं फैल पा रही है. कुड़ू के प्रबुद्धजनों ने बताया कि देश के पांच शिव मंदिर में टिको शिव मंदिर भी शामिल हैं, जहां मंदिर के समीप श्मशान घाट है. शिव मंदिर के समीप श्मशान घाट हैं, वहां के शिवलिंग में मांगी गयी मन्नत कभी खाली नहीं गयी है.

पुरोहित आनंद पाठक व यमुना पाठक ने बताया का देश में पांच स्थानों वाराणसी, विंध्याचल, काशी, कांजीपुरम व बंगाल का तारापीठ ही ऐसा शिव मंदिर है, जहां श्मशान घाट के समीप शिव धाम है. शादी समारोह के मौके पर ग्रामीणों को परेशानी होती है. इसका कारण मंदिर परिसर में बारातियों को ठहराने का कोई इंतजाम नहीं होना है. मैरेज हाल निर्माण, बारातियों को ठहरने व नित्य कर्म करने के लिए शौचालय निर्माण की मांग वर्षों से हो रही है, लेकिन सांसद सुदर्शन भगत से लेकर स्थानीय विधायक सह मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव किसी प्रकार की पहल नहीं कर पा रहे हैं.‌

सबसे बड़ी बात यह है कि टिको नदी तट पर तीन श्मशान घाट है. साथ ही टिको नदी तट पर रोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आयोजन होता है. इसके बावजूद किसी जनप्रतिनिधि ने कोई पहल नहीं की है. इस संबंध में बीडीओ मनोरंजन कुमार ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है मामले से जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए विकास कराने की मांग की जायेगी.

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