एनआइए ने दरभंगा जंक्शन पार्सल ब्लास्ट की जांच शुरू कर दी है. शुक्रवार को एनआइए के जांच दल से विस्फोट वाली जगह का निरीक्षण किया और पुलिस के उच्च अधिकारियों से मुलाकात की. एनआइए की ओर से ब्लास्ट की जांच शुरू करने के बाद एक बार फिर से आतंकी गतिविधियों में दरभंगा माड्यूल की चर्चा शुरू हो गयी है.
क्या है आतंकियों का दरभंगा माड्यूल- वर्ष 2013 के अगस्त माह में आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के सह संस्थापक यासिन भटकल की गिरफ्तारी हुई थी. गिरफ्तारी से पहले बीते छह माह से वह दरभंगा जिले के विभिन्न जगहों पर पनाह ले रहा था. वहीं, पटना के गांधी मैदान में नरेन्द्र मोदी ने 27 अक्तूबर, 2013 को एक रैली की थी.
इस ऐतिहासिक रैली में लगातार बम धमाके हुए थे. इस आतंकी घटना को भी दरभंगा मॉड्यूल के तहसीन ने अंजाम दिया था. इसके अलावा वर्ष 2010 से 2014 के बीच लगभग 14 इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी दरभंगा से गिरफ्तार किये गये थे. इसके बाद से ही देश भर में दरभंगा को आतंकियों के पनाह स्थल के रूप से जोड़ कर देखा जाने लगा था.
स्लीपर सेल व आतंकवाद- स्लीपर सेल बनाने दरभंगा मॉड्यूल को बढ़ाने में भटकल और फसी मोहम्मद की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. दरभंगा के युवकों को आतंकवाद से जोड़ने के लिए भटकल ने इस मॉड्यूल को विकसित किया था. इसमें युवाओं को पहले आतंकवाद की तरफ प्रेरित किया जाता है, फिर उन्हें आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जाता है.
भटकल में मामले में जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार भटकल ने सबसे पहले उडुपी में कुछ युवाओं के साथ अपने इत्र की दुकान पर संपर्क बनाए थे. वर्ष 2001 उन लोगों को अपनी बातों में फंसाकर भटकल ने आतंकवाद के लिए प्रेरित किया था.
Also Read: पार्सल ब्लास्ट मामले में दरभंगा पहुंची एनआइए की छह सदस्यीय टीम, दर्ज हुई प्राथमिकी
Posted by: Avinish Kumar Mishra