बीजिंग : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई धींगा-मुश्ती में चारों खाने चित होने के बाद चीन ने भारत की सीमाओं पर हलचल तेज करने के लिए शुक्रवार को तिब्बत में बुलेट ट्रेन की शुरुआत की है. उसकी यह ट्रेन सिचुआन-तिब्बत रेल लाइन पर ल्हासा से अरुणाचल प्रदेश से सटे नियंगची तक चलेगी.
खबर है कि सिचुआन-तिब्बत रेल लाइन के शुरू होने के बाद चीन 48 घंटे के बजाए केवल 13 घंटे में सिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगदू से तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक रणनीतिक सामग्री पहुंचा सकता है. इसके जरिए वह भारत की सीमाओं पर अपनी गतिविधियां बढ़ाने के लिए घातक हथियार समेत अन्य सामग्रियां भी बड़ी आसानी से भेज सकता है.
मीडिया की खबर के अनुसार, चीन ने सिचुआन-तिब्बत रेलवे के तहत 435.5 किलोमीटर लंबे ल्हासा-नियंगची रेल मार्ग पर बुलेट ट्रेन सेवाओं का संचालन आगामी 1 जुलाई को होने वाले सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के शताब्दी समारोहों से पहले शुरू किया है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में शुक्रवार को बिजली से चलने वाली पहली बुलेट ट्रेन की शुरुआत की गई है. इसके साथ ही, ल्हासा से नियंगची के बीच ‘फूक्सिंग बुलेट’ ट्रेनों का पठारी क्षेत्र में आधिकारिक परिचालन शुरू हो गया.
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रेल मार्ग पर ट्रेन की अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा होगी और यह सिंगल लाइन इलेक्ट्रीफाइड रेलवे है. इस मार्ग में कुल नौ स्टेशन हैं और यात्रियों के साथ ही माल ढुलाई भी होगी. यह रेल लाइन 47 सुरंगों और 121 पुलों से होकर गुजरती है और ब्रह्मपुत्र नदी को 16 बार पार करती है. रेलवे लाइन का करीब 75 फीसदी हिस्सा सुरंग और पुल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी माल ढुलाई क्षमता एक करोड़ टन सालाना है और इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने के साथ लोगों के जीवन में सुधार हो सकेगा. सिचुआन-तिब्बत रेलवे किंगहाई-तिब्बत रेलवे के बाद तिब्बत में दूसरी रेलवे होगी. यह किंगहाई-तिब्बत पठार के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र से होकर गुजरेगी, जो विश्व के भू-गर्भीय रूप से सबसे सक्रिय क्षेत्रों में से एक है.
पिछले साल के नवंबर में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अधिकारियों को सिचुआन प्रांत को तिब्बत में नियंगची से जोड़ने वाली नई रेलवे परियोजना का काम तेज गति से करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा था कि नई रेल लाइन सीमा स्थिरता को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगी.
गौर करने वाली बात यह भी सिचुआन-तिब्बत रेलवे की शुरुआत सिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगदू से होगी और यान से गुजरते हुए कामदो के जरिए तिब्बत में प्रवेश करेगी. इससे चेंगदू से ल्हासा तक का सफर 48 घंटे से कम होकर 13 घंटे रह जाएगा. नियंगची मेडोग का प्रांतीय शहर है, जो अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है.
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है, जिसे भारत पुरजोर तरीके से खारिज करता है. भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर है. शिंगहुआ यूनिवर्सिटी में नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट के शोध विभाग के निदेशक कियान फेंग ने सरकारी दैनिक ‘ग्लोबल टाइम्स’ से पहले ही कहा था कि अगर चीन-भारत सीमा पर संकट का कोई माहौल बनता है, तो इस रेलवे से चीन को रणनीतिक सामग्री पहुंचाने में बहुत सुविधा होगी.
Posted by : Vishwat Sen