रूपनारायणपुर/आसनसोलः इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (इसीएल) सालानपुर एरिया के गौरांडी कोलियरी से बुधवार दोपहर एक बजे कोयला लोड कर बनजेमारी साइडिंग के लिए निकले तीन डंपरों का कोयला रास्ते में ही बैंड (पत्थर कोयला) में तब्दील हो गया. इन तीन डंपरों ने 24 किलोमीटर की दूरी 10 घंटे में पूरी की थी.
रात के 11 बजे साइडिंग में पहुंचने पर सुरक्षाकर्मियों ने डंपरों को रोका, तो चालक और खलासी गाड़ी छोड़कर फरार हो गये. गुरुवार सुबह प्रबंधन द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी में बनजेमारी कोलियरी के प्रबंधक मनोज कुमार सिंह, बनजेमारी साइडिंग के प्रबंधक विजय कुमार ठाकुर और गौरांडी कोलियरी के प्रबंधक संदीप कुंडू ने पुष्टि की कि तीनों डंपर में लदा कोयला, कोयला नहीं बैंड है.
गौरांडी के प्रबंधक ने बताया कि कि उनकी कोलियरी से जी-आठ ग्रेड का कोयला लोड हुआ था. इसके बाद प्रबंधन ने सालानपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है. रास्ते में कोयला कहां बेचकर पत्थर लादा गया और यह कारोबार कितने दिनों से चल रहा था, इसकी जांच शुरू कर दी गयी है. डंपरों में लदा कोयला जी-आठ ग्रेड का था. रोड सेल में इसकी सरकारी कीमत पांच हजार रुपये प्रति टन है. तीनों डंपर में 75 टन से 80 टन कोयला लोड था.
सालानपुर एरिया के महाप्रबंधक अमितांजन नंदी ने कहा कि तीनों डंपरों को ब्लैकलिस्ट किया गया है. ट्रांसपोर्टिंग करने वाली कंपनी की भूमिका की जांच की जा रही है. सनद रहे कि बुधवार दोपहर को गौरांडी कोलियरी से कोयला लोड कर चालान नंबर 17 लेकर एक डंपर दोपहर 1:10 बजे, चालान नंबर 18 के साथ दूसरा डंपर 1:15 बजे और चालान नंबर 19 के साथ तीसरा डंपर 1:17 बजे बनजेमारी रेलवे साइडिंग के लिए निकले.
कोयला चोरी में बड़ा खुलासा
-
तीन डंपर को तीन किलोमीटर की दूरी तय करने में लग गये 10 घंटे
-
जीपीएस सिस्टम फेल होने के कारण नहीं हो रही है डंपरों की ट्रैकिंग
-
चालक-खलासी फरार, सालानपुर थाने में दर्ज हुई प्राथमिकी
गौरांडी से रेलवे साइडिंग तक की 24 किलोमीटर की दूरी पूरा करने में अधिकतम तीन घंटे का समय दिया गया है. यदि कोई डंपर ब्रेकडाउन हो जाये, तो इसकी सूचना देनी होती है. यह तीनों डंपर पांच घंटे बाद भी साइडिंग पर नहीं पहुंचे, तो छानबीन शुरू की गयी. साइडिंग में सुरक्षा टीम की तैनाती कर दी गयी. सुरक्षा विभाग के अधिकारी के अनुसार, रात 11 बजे तीनों डंपर साइडिंग के चेकपोस्ट पर पहुंची.
सुरक्षाकर्मियों को देखते ही चालक और खलासी गाड़ी छोड़कर भाग गये. गाड़ियों को चेकपोस्ट के अंदर लाया गया. इसकी सूचना अधिकरियों को दी गयी. सुबह अधिकारियों ने देखा कि डंपर में कोयला की बजाय बैंड लोड है. जांच के लिए तीन अधिकारियों की टीम गठित हुई. पुष्टि हुई कि डंपरों में बैंड हैं. कोयला कहां गया? यह खेल कितने दिनों से चल रहा था? इस कोयले का खरीदार कौन है? इसमें कौन-कौन लोग शामिल हैं? इसकी जांच आरंभ की गयी है.
Posted By: Mithilesh Jha