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कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए मोबाइल फोन और एड्रेस प्रूफ का होना जरूरी? जानें स्वास्थ्य मंत्रालय का जवाब

नयी दिल्ली : क्या कोरोना का वैक्सीन (Corona Vaccine) लगवाने के लिए मोबाइल नंबर (Mobile Phone) और एड्रेस प्रूफ (Address Proof ) का होना जरूरी है. यह एक बहुत ही आम सवाल है, जिसका हर कोई जवाब जानना चाहता है. कई मीडिया रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि बिना एड्रेस प्रूफ और मोबाइल नंबर के वैक्सीन लेना संभव नहीं है. टाइम्स नाउ की खबर के मुताबिक केंद्र सरकार ने इस दावे को खारिज कर दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) ने कहा कि यह दावा तथ्यहीन है कि बेघरों को टीका नहीं लगाया जायेगा.

नयी दिल्ली : क्या कोरोना का वैक्सीन (Corona Vaccine) लगवाने के लिए मोबाइल नंबर (Mobile Phone) और एड्रेस प्रूफ (Address Proof ) का होना जरूरी है. यह एक बहुत ही आम सवाल है, जिसका हर कोई जवाब जानना चाहता है. कई मीडिया रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि बिना एड्रेस प्रूफ और मोबाइल नंबर के वैक्सीन लेना संभव नहीं है. टाइम्स नाउ की खबर के मुताबिक केंद्र सरकार ने इस दावे को खारिज कर दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) ने कहा कि यह दावा तथ्यहीन है कि बेघरों को टीका नहीं लगाया जायेगा.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रिपोर्टों में कहा गया है कि ‘डिजिटल रूप से पंजीकरण करने की आवश्यकता’, ‘अंग्रेजी का ज्ञान और कंप्यूटर या इंटरनेट से जुड़े स्मार्टफोन तक पहुंच’ कुछ ऐसे कारक हैं जो लोगों को टीकाकरण से वंचित करते हैं. यह पूरी तरह तथ्यहीन है. मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं हैं, मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि टीकाकरण का लाभ उठाने के लिए को-विन पर ऑनलाइन प्री-रजिस्टर करना अनिवार्य नहीं है.

कोविड टीकाकरण के लिए मोबाइल फोन का मालिक होना कोई शर्त नहीं है. टीकाकरण का लाभ उठाने के लिए एड्रेस प्रूफ देना भी अनिवार्य नहीं है. मंत्रालय ने कहा कि एक मई से जब 18 प्लस के लोगों को राज्य सरकारों की ओर से टीका लगाया जा रहा था तब राज्य सरकारों ने प्री रजिस्ट्रेशन की शर्त रखी थी. केंद्र की ओर से ऐसे कोई निर्देश नहीं है. 21 जून से 18 प्लस के लिए भी ऑनस्पॉट रजिस्ट्रेशन शुरू है.

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12 भाषाओं में उपलब्ध है को-विन

मंत्रालय ने आगे कहा कि उपयोगकर्ताओं की आसान समझ के लिए, हिंदी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, गुजराती, ओडिया, बंगाली, असमिया, गुरुमुखी (पंजाबी) और अंग्रेजी सहित 12 भाषाओं में को-विन उपलब्ध है. बयान में कहा गया है कि को-विन प्लेटफॉर्म एक समावेशी आईटी प्रणाली है जो देश के दूरदराज के हिस्सों में और साथ ही सबसे कमजोर लोगों के लिए कवरेज की सुविधा के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ एक लचीला ढांचा प्रदान करता है.

जबकि आधार, मतदाता पहचान पत्र, फोटो के साथ राशन कार्ड, विकलांगता पहचान पत्र सहित नौ पहचान पत्रों में से कोई एक टीकाकरण के लिए आवश्यक है. सरकार द्वारा उन लोगों के लिए टीकाकरण सत्र आयोजित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं जिनके पास इनमें से कोई भी नहीं है. मंत्रालय ने कहा कि ऐसे प्रावधानों का पूरा लाभ उठाते हुए अब तक 2 लाख से अधिक ऐसे लाभार्थियों का टीकाकरण किया जा चुका है.

टीके की 80% खुराक अब तक ऑनस्पॉट रजिस्ट्रेशन मोड में दी गयी

मंत्रालय ने कहा कि जिन लोगों के पास इंटरनेट या स्मार्ट फोन या यहां तक ​​कि मोबाइल फोन तक नहीं है, उनके लिए मुफ्त ऑन-साइट पंजीकरण, जिसे वॉक-इन भी कहा जाता है, टीकाकरण सभी सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर उपलब्ध है. इसने आगे रेखांकित किया कि अब तक सभी टीके की 80 प्रतिशत खुराक को ऑन-साइट पर टीकाकरण मोड में प्रशासित किया गया है.

साइट पर टीकाकरण में, टीकाकरण, टीकाकरण और टीकाकरण प्रमाण पत्र के निर्माण के लिए सभी डेटा रिकॉर्डिंग टीकाकरणकर्ता द्वारा की जाती है और लाभार्थी को केवल बुनियादी न्यूनतम आवश्यक जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, राष्ट्रीय औसत की तुलना में आदिवासी जिलों में COVID-19 टीकाकरण कवरेज बेहतर पाया गया है. बयान में कहा गया है कि आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 70 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं, जिनमें 26,000 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 26000 उप-स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं.

Posted By: Amlesh Nandan.

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