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टेरर फंडिंग की प्रोग्रेस रिपोर्ट पर चर्चा से पाकिस्तान का नया पैंतरा, विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने नवाज सरकार पर लगाया आरोप

पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची (निगरानी सूची) में डाल दिया था और इस्लामाबाद से मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग किए जाने पर 2019 के अंत तक रोक लगाने के लिए कार्ययोजना लागू करने को कहा था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसकी डेडलाइन को बाद में बढ़ा दिया गया.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बुधवार को अपने ही देश की पूर्ववर्ती नवाज शरीफ की सरकार पर आरोप है. उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर देश के पहले की पूर्ववर्ती सरकारों की ओर से रोक नहीं लगाई गई. उन्होंने यह आरोप पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ओर से इसी हफ्ते 27 सूत्री कार्ययोजना के क्रियान्वयन पर पाकिस्तान की ओर से की गई प्रोग्रेस रिपोर्ट पर चर्चा से पहले लगाया है.

गौरतलब है कि पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची (निगरानी सूची) में डाल दिया था और इस्लामाबाद से मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग किए जाने पर 2019 के अंत तक रोक लगाने के लिए कार्ययोजना लागू करने को कहा था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसकी डेडलाइन को बाद में बढ़ा दिया गया.

‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि पूर्व की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार एफएटीएफ की ग्रे सूची में देश को रखे जाने के लिए जिम्मेदार है. कुरैशी ने कहा कि जब पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) सत्ता में आई तब पाकिस्तान पहले से एफएटीएफ की ग्रे सूची में जा चुका था.

एफएटीएफ द्वारा निर्धारित सख्त शर्तों के लिए पीएमएल-एन को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि पहले की किसी भी सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाए. उन्होंने कहा कि इन स्थितियों में राष्ट्रों को दबाव का सामना करना पड़ा है इसलिए हमें भी इस तरह के दबाव को झेलना होगा.

कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की 27 शर्तों को पूरा कर लिया है, इसलिए पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे रहने का कोई आधार नहीं है. ग्रे लिस्ट का तोहफा भी पीएमएल-एन की देन है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है.

यह बयान तब आया है, जब वैश्विक धनशोधन निवारण निगरानी संस्था 21 जून से 25 जून तक अपनी पूर्ण बैठक में 27 सूत्री कार्ययोजना के क्रियान्वयन पर पाकिस्तान द्वारा की गई प्रगति पर प्रारंभिक रिपोर्ट पर चर्चा करेगी. यह रिपोर्ट एफएटीएफ के अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) ने तैयार की है, जिसमें चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल है.

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Posted by : Vishwat Sen

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