पटना. बिहार में इस साल मॉनसून समय से पहले आया है. वहीं, अधिकतर जिलों में जून में बारिश भी सामान्य से अधिक हुई है. ऐसे में राज्य में संभावित बाढ़ के खतरा को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने फिर से मंगलवार को वैसे जिलों का ब्योरा लिया है, जहां बाढ़ का खतरा अधिक है.
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिशा निर्देश पर आश्रय स्थल पिछले साल की तुलना में तीन गुणा अधिक बनाने का निर्देश दिया गया है, जिसमें कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन करते हुए लोगों को सुरक्षित रखना है.
इसी निर्देश के आलोक में आपदा ने सभी डीएम को दिशा-निर्देश भेजा है कि बाढ़ आश्रय स्थल में रहने वाले सभी का कोरोना जांच कराने के बाद ही एंट्री दिया जाये, ताकि कोरोना का फैसला नहीं हो और लोग सुरक्षित रहें. दूसरी ओर बाढ़ से प्रभावित इलाकों में चलंत मेडिकल टीम गठित की गयी है, जिसके माध्यम से बाढ़ पीड़ितों के घर तक स्वास्थ्य कर्मी प्राथमिक उपचार के लिए पहुंच रहे हैं.
कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने की पूरी जिम्मेदारी डीएम को ही दी गयी है और हर दिन कहां कितने लोगों को आश्रय स्थल पर लाया गया, कितने की कोरोना जांच हुई, इसकी हर दिन की रिपोर्ट आपदा प्रबंधन विभाग को भी ऑनलाइन भेजना है.
आश्रय स्थल की संख्या बढ़ाना है. इस कारण से स्कूल,पंचायत भवन एवं अन्य सरकारी भवनों को चिह्नित कर दिया गया है, ताकि आश्रय स्थल ऊंचे जगहों पर रहें और बाढ़ से बचाये गये लोगों को वहां रखने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो. वहीं, पीएचइडी आश्रय स्थल पर शुद्ध पानी और अस्थायी शौचालय बना रहा है.
मधुबनी, मधेपुरा, सहरसा, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण,पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढ़ी, अररिया, किशनगंज,पूर्णिया दरभंगा, सुपौल, शेखपुरा, पटना में विशेष तैयारी की गयी है. इन सभी जिलों में राहत बचाव कार्य में एनडीआर एफ और एसडीआर एफ की टीम भी तैनात हैं.
Posted by Ashish Jha