ओड़िशा के पुरी में रथ यात्री की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. प्रशासन ने तैयारी को लेकर जायजा लिया है. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन इस बार सतर्क और कोरोना संक्रमण को लेकर कड़े नियमों का पालन करने को लेकर रणनीति बना रहा है.
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने यह फैसला लिया है कि सेवक समेत उन सभी लोगों को कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए होनी वाली आरटी-पीसीआर जांच कराना होगा जो रथ यात्रा से संबंधित धार्मिक अनुष्ठानों में किसी भी तरह से हिस्सा लेंगे. साथ ही इसमें ऐसे लोगों को भी शामिल करने की रणनीति बनायी गयी है जिन्होंने कोरोना वैक्सीन का दोनों टीका ले लिया है.
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इस बार भी रथ यात्रा से जुड़े सभी कार्यक्रमों में सादगी होगी. इसमें श्रद्धालु नहीं शामिल हो सकेंगे. इस बार की रथ यात्रा में केवल सेवक और मंदिर प्रशासन से जुड़े लोग ही रहेंगे. स्नान यात्रा के दौरान मंदिर के आसपास सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू रहेगी. स्नान यात्रा में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और देवी सुभद्रा को स्नान कराया जाता है. मंदिर के सामने वाली ग्रैंड रोड पर किसी को भी एकत्र होने की अनुमति नहीं होगी.
भगवान को स्नान पूर्णिमा के दिन स्नान कराया जाना है पुरी के राजा दिब्यासिंह देब स्नान वाली जगह को साफ करेंगे. इसके बाद देवताओं को वस्त्र पहनाकर अनासरा घर की ओर ले जाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि स्नान के बाद देवता बीमार हो जाते हैं. इसके बाद अनासरा से जुड़े धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे. यह अनुष्ठान 15 दिनों तक चलते हैं.
पुरी की रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है और दूर – दूर से इस रथ यात्रा को देखने के लिए श्रद्धालु आते हैं लेकिन इस बार की रथयात्रा जो 12 जुलाई को ही बगैर भीड़ के बगैर श्रद्धालुओं के ही निकालीजायेगी. इस यात्रा में बलभद्र, और देवी सुभद्रा के रथों को खींचकर गुंडिचा मंदिर लाया जाएगा. यह जगह मुख्य मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर है.
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यात्रा सुबह साढ़े आठ बजे शुरू होगी और शाम चार बजे यहां पहुंचेगी 23 जुलाई को मुख्य मंदिर में भगवान को वापस ले जाया जायेगा. इस दौरान मंदिर प्रशासन के साथ राज्य सरकार भी इस बात का पूरा ध्यान दे रही है कि यह यात्रा पूरी तरह से सुरक्षित रहे. लोगों की भूमिका इसमें ना रखने के पीछे एक ही उद्देश्य है कि संक्रमण का प्रभाव ना फैले और लोग सुरक्षित रहें.