पटना. प्रदेश में निगरानी जांच के दायरे में आये तीन लाख से अधिक शिक्षकों में से मरे/अवकाश प्राप्त अथवा त्यागपत्र दे चुके शिक्षकों की संख्या 9115 बतायी जा रही है़ वायरल हुए एक प्रपत्र से चर्चा में आये इस इस आंकड़े का खुलासा जिला शिक्षा पदाधिकारियों की तरफ से एनआइसी व विभागीय वेब पोर्टल पर अपलोड दस्तावेजों से हुई है़ हालांकि, शिक्षा विभाग से इन आंकड़ों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है़
जानकारों के मुताबिक ऐसे शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग का क्या रुख रहेगा? इस संबंध में शिक्षा विभाग को अभी निर्णय लेना है़ बेशक नौ हजार से अधिक इन शिक्षकों के पद रिक्त माने जायेंगे या नहीं , इस संबंध में अभी आधिकारिक सरकारी रुख सामने आना बाकी है़
वायरल हुए इस प्रपत्र में बताया गया है कि निगरानी जांच में त्यागपत्र दे चुके ,मर चुके या रिटायर्ड हो चुके ऐसे शिक्षकों की सर्वाधिक संख्या वैशाली में 598, सुपौल में 596,सीवान से 1253, सीतामढ़ी में 508,पटना में 746, रोहतास में 467, मुजफ्फरपुर में 746,लखीसराय में 482, जमुई में 500 और नालंदा में 382 है़
राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि सरकार नियोजित शिक्षकों को जांच के नाम पर प्रताड़ित कर रही है. साथ ही नियोजित शिक्षकों से मेधा सूची की मांग किये जाने पर कड़ी आपत्ति जतायी है.
गगन ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा निदेशालय, पटना की तरफ से राज्य के करीब 90 हजार शिक्षकों को अपना शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्र तथा मेधा सूची निगरानी विभाग के वेब पोर्टल पर अपलोड करने को कहा गया है. चेतावनी भी दी है कि शिक्षक वांछित प्रमाणपत्र एवं मेधा सूची जमा नहीं करेंगे उन्हें नौकरी से हटा दिया जायेगा़
Posted by Ashish Jha