कोलकाताः ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस दुर्घटना में खुद को मृत बताकर और फर्जी दस्तावेज के जरिये सरकार की ओर से दिये गये मुआवजे की राशि प्राप्त कर धोखाधड़ी करने के आरोप में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने महानगर के जोड़ाबागान इलाके से अमृताभ चौधरी और उसके पिता मिहिर चौधरी को शनिवार को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.
पिछले साल अगस्त में इस्टर्न रेलवे के विजिलेंस विभाग ने सीबीआई की अपराध निरोधी शाखा (कोलकाता) में एक शिकायत दर्ज करायी थी. शिकायत में विभाग की ओर से आशंका व्यक्त की गयी थी कि अमृताभ नामक शख्स की मौत हादसे में नहीं हुई है.
बावजूद इसके अमृताभ ने, उसके परिजनों और कुछ सरकारी अधिकारियों व अन्य लोगों की मदद से फर्जी तरीके से डीएनए प्रोफाइल मैच की प्रक्रिया पूरी करने व जाली बीमा व अन्य दस्तावेजों के सहारे सरकारी मुआवजे की करीब चार लाख रुपये की राशि प्राप्त की. साथ ही अमृताभ चौधरी को मृत साबित कर उसकी बहन ने रेलवे में नौकरी भी प्राप्त की.
सीबीआई ने मामले को लेकर अमृताभ, उसके पिता मिहिर, मां अर्चना और उसकी बहन महुआ पाठक के खिलाफ शिकायत दर्ज कर जांच शुरू की. जांच के बाद जोड़ाबागान इलाके से अमृताभ को पकड़ा गया. सीबीआइ अधिकारी जल्द इस मामले में कुछ सरकारी अधिकारियों से भी पूछताछ कर सकते हैं.
गौरतलब है कि ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस 28 मई, 2010 को दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी. दक्षिण पूर्व रेलवे के खेमासुली और सरडीहा स्टेशनों के बीच ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस की मालगाड़ी से टक्कर हो गयी थी. हावड़ा से मुंबई जा रही इस ट्रेन में सवार 148 लोगों की मौत हो गयी थी और 200 से अधिक यात्री घायल हो गये थे. दुर्घटना में मरने वालों और घायलों को रेलवे के नियम के मुताबिक मुआवजा मिला था. करीब 11 वर्षों बाद धोखाधड़ी के ऐसे मामले का पता चल पाया है.
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Posted By: Mithilesh Jha