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चतरा के ग्रामीण बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं, अधिकतर अभिभावक महंगे फोन खरीदने में असमर्थ, ऑनलाइन पढ़ाई प्रभावित

कोरोना काल से कक्षा एक से सात तक के बच्चों का स्कूल बंद है. कुछ माह के लिए माध्यमिक व उच्च विद्यालय व कॉलेज खुले, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में पुन: बंद हो गये. इस तरह ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई में पिछड़ते जा रहे हैं. जिले में अधिकतर बच्चों के अभिभावक या तो किसान या फिर मिस्त्री, फल-सब्जी विक्रेता व दैनिक मजदूर हैं. सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थी इस कोरोना काल में संसाधन के अभाव में पढ़ाई छोड़ परिवार के अन्य कामों में सहयोग कर रहे हैं.

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से बहुत कुछ बदल गया है. स्कूली बच्चे भी इससे अछूते नहीं है. लॉकडाउन के कारण बच्चों की पढ़ाई का पैटर्न बदल गया है. शिक्षक व्हाट्सग्रुप व जूम एप के माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे है. ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ शहर के बच्चों को तो मिल रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर बच्चे स्मार्टफोन नहीं होने की वजह से ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.

कोरोना काल से कक्षा एक से सात तक के बच्चों का स्कूल बंद है. कुछ माह के लिए माध्यमिक व उच्च विद्यालय व कॉलेज खुले, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में पुन: बंद हो गये. इस तरह ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई में पिछड़ते जा रहे हैं. जिले में अधिकतर बच्चों के अभिभावक या तो किसान या फिर मिस्त्री, फल-सब्जी विक्रेता व दैनिक मजदूर हैं. सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थी इस कोरोना काल में संसाधन के अभाव में पढ़ाई छोड़ परिवार के अन्य कामों में सहयोग कर रहे हैं.

सरकारी शिक्षकों द्वारा विभाग के निर्देश पर प्रत्येक वर्ग के लिए अलग-अलग व्हाट्सअप ग्रुप के माध्यम से पठन सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के नाममात्र बच्चों के पास स्मार्टफोन है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर बच्चे स्मार्टफोन के अभाव में ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. ऑनलाइन पढ़ाई में क्या परेशानी हो रही है, इन मुद्दों पर शिक्षक व छात्रों से प्रभात खबर प्रतिनिधि मो तसलीम ने बात की.

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