क्या कोरोना संक्रमण के शिकार बच्चों के लिए उन दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसका इस्तेमाल करके व्यस्क स्वस्थ हुए हैं ? स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी दी हैकोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका जाहिर की गयी है. दूसरी लहर में संक्रमण का सबसे ज्यादा असर युवाओ पर पड़ा. विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर हो सकता है.
बच्चों को कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से बचाने के लिए तैयारियां तेज कर दी गयी है. कई राज्यों में स्पेशल अस्पताल तैयार किये गये हैं. इस संबंध में सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना संक्रमण में वयस्क मरीजों के इलाज में काम आने वाली दवा जिसमें आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फैविपिराविर जैसी कई दवाएं इस्तेमाल नहीं की जा सकती है हां बुखार आने पर उन्हें पैरासीटामोल देने की सलाह दी गयी है.
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके साथ- साथ बच्चों की सुरक्षा और उनकी देखरेख के भी दिशा निर्देश जारी किया है. बच्चों की वैक्सीन को लेकर अबतक ट्रायल चल रहा है कई चरणों में होने वाले इस ट्रायल के कई चरण सफल रहे हैं.
सरकार इन ट्रायल्स के बाद बच्चों के वैक्सीनेशन की तरफ फोकस करेगी. स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर भी पूरा फोकस कर रहा है कि बच्चों के लिए बिस्तरों की कमी ना हो. बच्चों की वैक्सीन को लेकर दुनिया भर के कई देशों में काम चल रहा है, कई जगहों पर 12 से 16 साल के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है.
भारत में भी कई जगहों पर शोध चल रहा है ऐसी संभावना है कि जल्द ही बच्चों के लिए भी वैक्सीन उपलब्ध होगी. दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से निपनटे की तैयारी जोरों पर है. अगर बच्चे गंभीर संक्रमण का शिकार होते हैं तो बच्चों के साथ- साथ माता पिता के भी अस्पताल में ठहरने की व्यस्था हो इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है.
देश में कोरोना संक्रमण के मामले भले ही कम हो रहे हों लेकिन कोरोना संक्रमण का खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है. दुनिया भर के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमण के कई वेब आ चुके हैं. भारत में भी तीसरी लहर की संभावना जाहिर की गयी है. लॉकडाउन के बाद भले ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गयी हो लेकिन अब भी कई राज्यों में पूरी तरह राहत नहीं दी गयी है.