रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी बड़े संकट में फंस गयी है, उसके छह सांसदों में से पांच ने पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान के खिलाफ बगावत कर दी है और अपना अलग गुट बनाकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मान्यता की मांग कर रहे हैं.
इंडिया टुडे के अनुसार चिराग पासवान की पार्टी में जो कुछ हुआ, इसकी जैसे उन्हें भनक भी नहीं थी, उनके खिलाफ बगावत करने वालों के नेता उनके चाचा पशुपति पारस हैं. हालांकि हाजीपुर के सांसद पशुपति पारस जो उनके चाचा हैं उन्होंने यह कहा है कि वे चिराग पासवान के खिलाफ नहीं हैं. पशुपति पारस को आज एलजेपी सांसदों ने अपना नेता चुना है. पशुपति पारस का कहना है कि हमारी पार्टी में छह सांसद हैं. हमारी पार्टी को बचाने के लिए पांच सांसदों की यही इच्छा थी इसलिए मैंने पार्टी को विभाजित नहीं किया है, मैंने इसे बचा लिया है.
चिराग पासवान मेरे भतीजे होने के साथ-साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. मुझे उससे कोई आपत्ति नहीं है. मीडिया से बात करते हुए पशुपति पारस ने कहा कि मैं एनडीए के साथ हूं. नीतीश कुमार एक अच्छे नेता और विकास पुरुष हैं. उनके इस बयान का बड़ा महत्व है क्योंकि यह बिहार में आगे की राजनीति को तय करेगा. कहा तो यह जा रहा है कि एलजेपी के सांसद जदयू के साथ चले जायेंगे.
पशुपति पारस का कहना है कि लोजपा के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता पासवान से नाराज चल रहे थे. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू के खिलाफ लड़ने के फैसले से कार्यकर्ता नाराज हैं. पार्टी टूट के कगार पर पहुंच चुकी थी, इसलिए यह निर्णय करना पड़ा.पारस ने कहा कि उनका गुट भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बना रहेगा. चिराग पासवान भी संगठन का हिस्सा बने रह सकते हैं. पांच सांसदों ने रविवार रात को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और चिराग पासवान की जगह पारस को अपना नेता चुने जाने के फैसले से उन्हें अवगत कराया.
पशुपति पारस के सामने आकर बयान देने के बाद चिराग पासवान उनसे मिलने उनके आवास पर गये भी, लेकिन उनके बीच क्या बातचीत हुई इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है. नाराज सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीना देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं. इन नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार के खिलाफ लड़ने से बिहार की राजनीति में लोजपा को नुकसान हुआ.
रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम वैज्ञानिक तक कह दिया गया था, बावजूद इसके उनके बेटे चिराग पासवान अपनी ही पार्टी के नेताओं को भांप नहीं सके, लेकिन अब क्या वे पूरी तरह से पार्टी में हाशिये पर डाल दिये जायेंगे यह बड़ा सवाल है. जानकारों का कहना है कि चिराग पासवान को पूरी तरह हाशिये पर डालने के लिए पार्टी के हर सदस्य राजी नहीं होंगे क्योंकि इससे पार्टी को नुकसान होगा.
Posted By : Rajneesh Anand